राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) प्रक्रिया पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. हालांकि, कोर्ट ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनपीआर को लेकर दाखिल नई याचिकाओं को लेकर केंद्र को नोटिस जारी किया है. एनपीआर पर रोक लगाने के लिए सोमवार को जनहित दायर की गई थी.
इस जनहित याचिका में तर्क दिया गया कि आधार में डेटा की सिक्योरिटी की गारंटी है, लेकिन नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना) नियमावली, 2003 के तहत इकट्ठा की जा रही जानकारी के दुरुपयोग से किसी भी सुरक्षा की गारंटी नहीं है.
रोक लगाने से इनकार
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने एनपीआर प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है और सीएए के अन्य मामलों के साथ-साथ उन दलीलों को भी टैग किया है जिन पर बाद में सुनवाई होने वाली है.
एनपीआर याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के लिए जो जानकारी एकत्र की जाएगी, उसका दुरुपयोग होने से बचाने की गारंटी नहीं है.
निजता का घोर आक्रमण
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि सिटीजन्स रुल्स 2003 (नागरिकों का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना) की नियमावली के तहत एकत्र की गई जानकारी के दुरुपयोग होने से रोकने की किसी भी तरह की सुरक्षा की गारंटी नहीं है. यह आधार कार्ड या जनगणना के तहत एकत्र की गई जानकारी से भौतिक रूप से भिन्न है.
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याचिका में यह भी चिंता जताई गई है कि इस तरह के डेटा के कारण 'नागरिकों की असंबद्ध राज्य निगरानी' हो सकती है.
याचिकाकर्ता ने यह भी कहा है, 'राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के निर्माण और अपडेशन की पूरी कवायद निजी नागरिकों की निजता का घोर आक्रमण है.'
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सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ 144 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की थी , जबकि अभी कुछ और याचिकाएं दायर की जा रही हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते बुधवार को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के क्रियान्वयन के खिलाफ किसी भी तरह के आदेश को पारित करने से इंकार कर दिया था. देश की शीर्ष अदालत ने जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए केंद्र सरकार को चार सप्ताह का समय दिया है.