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SC के रोस्टर सिस्टम पर आज आएगा फैसला, शांति भूषण ने दायर की थी याचिका

चीफ जस्टिस के मास्टर ऑफ रोस्टर के अधिकार और रुतबे के मुताबिक केसों के आवंटन पर सवाल उठाने वाली शांति भूषण की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अर्जन कुमार सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ शुक्रवार को फैसला सुनाएगी.

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सुप्रीम कोर्ट
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सुप्रीम कोर्ट की किस बेंच में कौन कौन जज होंगे, कौन कौन से मामले किस बेंच के पास जाएंगे यानी रोस्टर सिस्टम पर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला शुक्रवार को आएगा. हालांकि मार्च में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट में रोस्टर सिस्टम शुरू कर दिया है.  

चीफ जस्टिस के मास्टर ऑफ रोस्टर के अधिकार और रुतबे के मुताबिक केसों के आवंटन पर सवाल उठाने वाली शांति भूषण की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अर्जन कुमार सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ शुक्रवार को फैसला सुनाएगी.

इस मामले की सुनवाई के दौरान एटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपालन ने कोर्ट के सामने कहा भी था- माई लॉर्ड! सुप्रीम कोर्ट बेंच कह चुकी है कि चीफ जस्टिस मास्टर ऑफ रोस्टर हैं. लिहाज़ा अब इसमें और स्पष्टता की ज़रूरत नहीं है.

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जबकि याचिका में पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण ने मांग की है कि 5 वरिष्ठतम जज मिल कर मुकदमों का आवंटन करें. एटॉर्नी जनरल ने मांग को अव्यवहारिक बताया था.

सुप्रीम कोर्ट ने AG से इस मुकदमे में मदद करने को कहा था. कोर्ट ने वेणुगोपाल से कहा था कि जजों की नियुक्ति की तरह क्या संवेदनशील केसों के आवंटन के मामले में CJI की अध्यक्षता वाला कॉलेजियम होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इसमें कोई विवाद नहीं कि CJI मास्टर ऑफ रोस्टर हैं. प्रथम दृष्टया हमें ये लगता है कि इन हाउस प्रक्रिया को दुरुस्त कर इसका हल हो सकता है, लेकिन न्यायिक तरीके से नहीं. सुप्रीम कोर्ट को ये तय करना है कि मुकदमों का आवंटन कैसे हो, कौन करे?

वैसे भी सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सैंकडों नए मामले आते हैं. ऐसे में कॉलेजियम के पांचों जज ये तय करेंगे तो न्यायिक कामकाज कैसे होगा? ये तरीका व्यवहारिक नहीं लगता. जजों का काम सिर्फ न्याय देना नहीं बल्कि लोकतंत्र और संविधान की सुरक्षा और कानून के शासन को बरकरार रखना भी है.

शांतिभूषण की इस याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चार जजों की प्रेस कांफ्रेंस पर कुछ भी सुनने या बोलने से साफ इंकार कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि इस पर कोई बात नहीं करेंगे सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कौन सा केस संवेदनशील है ये कौन तय करेगा? किसी के लिए कोई मामला संवेदनशील हो सकता है किसी के लिए कोई और.

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वहीं, याचिकाकर्ता की और से दुष्यंत दवे और कपिल सिब्बल ने कहा कि चीफ जस्टिस मास्टर ऑफ रोस्टर हैं ये वो भी मानते हैं. आमतौर पर याचिकाएं सीधे रजिस्ट्री द्वारा जजों के पास चली जाती हैं. सिर्फ संवेदनशील मामलों को ही रजिस्ट्री चीफ जस्टिस के पास समुचित बेंच के लिए पूछती है.

सिब्बल ने दलील दी थी कि हमने याचिका में 14 केस बताएं हैं जिनमें जज लोया और अस्थाना का केस भी शामिल है. इसलिए ऐसे संवेदनशील मामलों में केसों के आवंटन के लिए कॉलेजियम को तय करना चाहिए. किसी एक शख्स को संविधानिक तरीके से एकाधिकार नहीं दिया जा सकता. ये देश की सबसे बड़ी अदालत है जिसे लोकतंत्र और संविधान की रक्षा करनी है.

व्यवस्था के मुद्दे पर देश की सबसे बड़ी अदालत के चार वरिष्ठ जज मीडिया के जरिए जनता के सामने चले गए. याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट में केसों का आवंटन चीफ जस्टिस अकेले नहीं बल्कि कॉलेजियम में शामिल सभी पांच जज करें. इससे पहले इसी तरह की याचिका को सुप्रीम कोर्ट खारिज भी कर चुका है.

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