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मेघालय में मजदूरों को बाहर निकालने के काम से असंतुष्ट SC, कहा-हर मिनट कीमती

In East Jaintia Hills district of Meghalaya  के पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित कोयलाखदान में पास की लितेन नदी का पानी भर गया था जिसके बाद खदान में काम कर रहे मजदूर अंदर ही फंस गए थे. 13 दिसंबर को हुई इस घटना के बाद से बचाव कार्य जारी है, लेकिन अभी कोई कामयाबी नहीं मिल सकी है.

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3 हफ्ते से ज्यादा समय से खदान में फंसे हैं 15 मजदूर (फाइल-ट्विटर)
3 हफ्ते से ज्यादा समय से खदान में फंसे हैं 15 मजदूर (फाइल-ट्विटर)

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सुप्रीम कोर्ट ने मेघालय सरकार से गुरुवार को कहा कि 13 दिसंबर से अवैध कोयला खदान में फंसे 15 मजदूरों को निकालने के लिए अब तक उठाए गए कदम संतोषजनक नहीं है. उन्हें बचाने के लिए 'शीघ्र, तत्काल और प्रभावी' अभियान चलाने की जरूरत है क्योंकि यह जिंदगी और मौत का सवाल है. अदालत ने यह भी कहा कि लगभग तीन हफ्ते से खदान फंसे लोगों के लिए 'हर मिनट कीमती' है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो जिंदा हैं या मर गए हैं, उन्हें हर हाल में बाहर निकाला जाना चाहिए.

जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पीठ ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि शुक्रवार तक सरकार के उन कदमों से अदालत को अवगत कराया जाए जो वह इस मामले में उठाने की सोच रही है. पीठ ने कहा, 'वहां फंसे लोगों के लिए, प्रत्येक मिनट की कीमत है. तत्काल कदम उठाने की जरूरत है.' पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, 'केंद्र के तौर पर आपको अब कुछ करना चाहिए. चाहें तो आप सेना की मदद लें जो अब तक ली नहीं गई है. वे (सेना) तैयार हैं और उन्होंने इच्छा भी जताई है.'

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अचानक आई बाढ़ से फंसे मजदूर

मेघालय के पूर्वी जयंतिया पर्वतीय जिले में पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित इस खदान में पास की लितेन नदी का पानी भर गया था जिसके बाद खदान में काम कर रहे मजदूर अंदर ही फंस गए थे.

सुनवाई के दौरान, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के कई सदस्य घटनास्थल पर काम कर रहे हैं और सेना की बजाए सरकार ने नौसैन्य कर्मियों को वहां भेजा है क्योंकि खदान पानी में डूब चुकी है. इस पर पीठ ने कहा, 'एनडीआरएफ के 72 सदस्य पहले से वहां हैं, लेकिन अभी तक कोई परिणाम नहीं निकला है.'

सेना की मदद क्यों नहीं

साथ ही पीठ ने कहा, 'आप सेना की मदद क्यों नहीं ले सकते? उनका (याचिकाकर्ता) का कहना है कि थाईलैंड में पानी की निकासी के लिए पंप भेजे गए थे. यहां भी उनका (पंप का) इस्तेमाल क्यों नहीं किया जा सकता?'

याचिकाकर्ता ने कहा है कि किर्लोस्कर ब्रदर्स लिमिटेड (केबीएल) ने जून-जुलाई 2018 में थाईलैंड की एक गुफा में फंसी फुटबॉल टीम के सदस्यों को बाहर निकालने के लिए रॉयल थाई सरकार को तकनीकी मदद देने के साथ ही उच्च क्षमता वाले पंप दिए थे.

याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी करते हुए पीठ ने कहा, 'हमने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से मामले को यथाशीघ्र देखने का आग्रह किया है क्योंकि यह जीवन-मरण का सवाल है.' इससे पहले, दिन में मेघालय के लिए पेश होने वाले वकील ने कहा था कि वह पहले ही इन व्यक्तियों को निकालने के लिए कदम उठा चुके हैं. पीठ ने कहा, 'आपने क्या कदम उठाए हैं? ये मजदूर लंबे समय से वहां फंसे हुए हैं. आपने भले ही कदम उठाए हों लेकिन वे अब भी फंसे हुए हैं. आपको केंद्र सरकार से कुछ मदद की जरूरत है.' इस पर वकील ने कहा कि केंद्र भी उनकी सहायता कर रहा है.

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अब तक क्यों नहीं मिली कामयाबी

इस पर पीठ ने पूछा, 'तो आप अब तक सफल क्यों नहीं हुए? क्या यह पानी की वजह से है?' पीठ ने कहा, 'हम संतुष्ट नहीं हैं (बचाव के लिए उठाए गए कदमों से). यह जिंदगी और मौत का सवाल है. पिछले इतने दिनों में क्या हुआ हमें नहीं पता. इससे फर्क नहीं पड़ता के वे (फंसे लोग) सब मर गए हैं, कुछ जिंदा है, कुछ की मौत हो गई या सभी जिंदा है, उन सभी को अब बाहर लाया जाना चाहिए. हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि वे सभी जीवित हों.'

साथ ही पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से केंद्र के एक विधि अधिकारी को अदालत में बुलाने के लिए कहा था. याचिकाकर्ता आदित्य एन प्रसाद के लिए पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने पीठ से कहा कि ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए हमें एक समन्वित प्रणाली की जरूरत है. ग्रोवर ने दावा किया कि अधिकारियों ने इस मामले में उचित कदम नहीं उठाए.

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