आधार कार्ड पर अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है. सरकार ने आधार को फोन कनेक्शन या बैंक खाते के लिए स्वैच्छिक पहचान पत्र बनाने के बिल को लोकसभा में चर्चा कर पास किया है और सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती दी गई है. कोर्ट ने इस बाबत केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
आधार संशोधनों को मूल रूप से संसद में एक बिल के जरिये लाया गया था जिसे लोकसभा में पारित कर दिया गया लेकिन यह राज्यसभा में पारित नहीं हो सका. संसद सत्र के खत्म होने से पहले इसे ठोस रूप नहीं दिया जा सका. इसलिए मोदी सरकार इसके लिए अध्यादेश लेकर आई. हालांकि, अध्यादेशों को संविधान के अनुच्छेद 123 में निर्दिष्ट शर्तों को पूरा किए जाने की स्थिति में में ही अध्यादेश को लागू किया जा सकता है. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि आध्यादेश के जरिये केंद्रीय सरकार अपनी ताकत का दुरुपयोग कर सकती है.
दूसरी ओर गुरुवार को लोकसभा से आधार संशोधन बिल को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि भारत के डाटा की संप्रभुता की रक्षा किसी भी कीमत पर की जाएगी और इसके लिए हम जल्दी डाटा प्रोटेक्शन लॉ लेकर आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि किसी भी निजी कंपनी का आधार का कोर डाटा हासिल करने की इजाजत नहीं है, अगर कोई ऐसा करता है तो उसके लिए सजा और जुर्माने का प्रावधान है. आधार के जरिए सरकार का करोड़ों रुपया बचा है और लोगों तक सरकारी सेवाएं आसानी से पहुंची हैं. उन्होंने कहा कि इसे लेकर पहली बार सुप्रीम कोर्ट में मामला आधार की कानूनी मान्यता को लेकर ही गया था.