उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि न्यायाधीशों को किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कठोर और असंयमित भाषा का इस्तेमाल और अपमानजनक टिप्पणियां नहीं करनी चाहिए. न्यायालय ने कहा कि न्यायाधीशों को शालीनता और संयम से काम लेना चाहिए.
न्यायमूर्ति बीएस चौहान और न्यायमूर्ति एफएम इब्राहिम कलीफुल्ला की खंडपीठ ने कहा, ‘न्यायाधीशों को कठोर और असंयमित भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए बल्कि उन्हें शालीनता और संयम का परिचय देना चाहिए क्योंकि किसी भी व्यक्ति के खिलाफ उनकी कठोर और अपमानजनक टिप्पणियों को गलत और अनुचित तरीके से लिया जा सकता है और ऐसी स्थिति में वे अच्छाई की बजाय अधिक नुकसान करते हैं जिससे अन्याय हो जाता है.’
न्यायाधीशों ने गुजरात में लोकायुक्त की नियुक्ति के मामले में उच्च न्यायालय द्वारा मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के बारे में की गयी टिप्पणियों पर आपत्ति करते हुये यह टिप्पणी की. शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय को संयम से काम लेना चाहिए था और सांवैधानिक प्राधिकारी के बारे में ऐसी टिप्पणियां नहीं करनी चाहिए थीं.
उच्च न्यायालय ने कहा था कि मोदी ने लोकायुक्त की नियुक्ति के मामले में लघु सांवैधानिक संकट पैदा कर दिया था. न्यायाधीशों ने कहा कि अदालतों को किसी भी व्यक्ति के खिलाफ अनावश्यक और अपमानजनक टिप्पणियां उस समय तक नहीं करनी चाहिए जब तक किसी मसले के निर्णय के दौरान ऐसा करना जरूरी नहीं हो. अदालतों को असंयमित भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए और हमेशा ही न्यायिक मर्यादा बनाये रखना चाहिए.