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यूनिटेक का भी होगा फोरेंसिक ऑडिट, प्रमोटर संजय चंद्रा को बेल नहीं: SC

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि जब तक फोरेसिंक ऑडिट नहीं हो जाता, तब तक जमानत की अर्जी पर विचार नहीं होगा.

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संजय चंद्रा (फाइल फोटो-रॉयटर्स)
संजय चंद्रा (फाइल फोटो-रॉयटर्स)

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घर खरीदारों का पैसा लौटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने रियल इस्टेट कंपनी यूनिटेक को लेकर शुक्रवार को बड़ा आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि आम्रपाली की तरह यूनिटेक का भी फोरेंसिक ऑडिट होगा और फोरेंसिक ऑडिट होने तक यूनिटेक के प्रमोटर संजय चंद्रा को जमानत नहीं मिलेगी.

सुप्रीम कोर्ट ने ऑडिटर नियुक्त करने का भी आदेश दिया जो साल 2006 से यूनिटेक की सभी 74 कंपनियों और उनकी सहायक कंपनियों के खातों का ऑडिट करेगा. देश की शीर्ष अदालत ने दोनों फोरेंसिक ऑडिटर को अगले शुक्रवार को कोर्ट में पेश होने के लिए कहा.  सुप्रीम कोर्ट में संजय चंद्रा की ओर से शुक्रवार को पेश वकीलों ने उनकी जमानत के लिए कई बार आग्रह किया लेकिन कोर्ट ने साफ कर दिया कि जब तक फोरेसिंक ऑडिट नहीं हो जाता, तब तक जमानत की अर्जी पर विचार नहीं होगा.

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संजय चंद्रा पर एक प्रोजेक्ट का पैसा दूसरे प्रोजेक्ट में लगाने और फिर उस पैसे को विदेश भेजने का आरोप है. उनके खिलाफ यह कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी उनके खिलाफ मामले दर्ज हो चुके हैं. यूनीटेक का मामला एक अपार्टमेंट के निर्माण से जुड़ा है. दरअसल, संजय चंद्रा की कंपनी यूनिटेक ने ग्रेटर नोएडा में एक अपार्टमेंट बनवाया था. इसमें हर साल 11 फीसदी ब्याज देने की बात कही गई थी. उस अपार्टमेंट में संजय कालरा और देवेश वाधवा ने अपने नाम पर प्रॉपर्टी खरीदी थी लेकिन यूनिटेक अपनी परियोजना समय से पूरा नहीं कर पाई.

इसके बाद कंपनी अपने वादे से पलट गई और ब्याज देने से भी मना कर दिया. तब परेशान होकर सीए संजय कालरा और उनके बिजनेस पार्टनर देवेश वाधवा ने यूनिटेक के चेयरमैन रमेश चंद्रा, एमडी संजय चंद्रा, अजय चंद्रा और निदेशक मिनोती बाहरी पर केस दर्ज किया था. पिछले साल भी यूनिटेक के बॉस संजय चंद्रा को धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया गया था. जमानत न मिलने की वजह से उन्हें एक रात तिहाड़ जेल में गुजारनी पड़ी थी.

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