वकील एमएल शर्मा की ओर से गैर सरकारी संगठनों की फंडिंग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 29 लाख संगठनों के ऑडिट का आदेश दिया है.
इस मामले में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश की. सुप्रीम कोर्ट ने एनजीओ फंडिंग की नोडल एजेंसी CAPART (काउंसिल फॉर एडवांसमेंट ऑफ पीपल्स एक्शन एंड रूरल टेक्नोलॉजी) के निदेशक को समन जारी कर सुनवाई के दौरान मौजूद रहने को कहा था.
सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई की ओर से फाइल किए गए रिकॉर्ड के मुताबिक 29 लाख 99 हजार 623 गैर सरकारी संगठनों में से सिर्फ दो लाख 90 हजार 787 संगठनों ने ही सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट के आधार पर वार्षिक वित्तीय बयान दर्ज कराए हैं.
वित्तीय लेन-देन में पारदर्शिता
सीबीआई ने बताया कि कुछ राज्यों में एनजीओ अपने वित्तीय लेन-देन में पारदर्शिता बनाए रखने के कानून का पालन ही नहीं करते हैं. केंद्र शासित राज्यों में पंजीकृत कुल 82 हजार 250 गैर सरकारी संगठनों में से मात्र 50 संगठन ही रिटर्न फाइल करते हैं.
फंडिंग का रिकॉर्ड रखना जरूरी
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को गैर सरकारी संगठनों की फंडिंग पर नजर रखने के लिए कोई व्यवस्था बनाने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि सरकार हर वर्ष बड़ी मात्रा में फंड जारी करती है, ऐसे में फंडिंग का रिकॉर्ड रखना जरूरी है.
सरकारी फंडिंग के ऑडिट का आदेश
देश भर में 32 लाख गैर सरकारी संगठनों को सरकार से सहायता दी जाती है, जिनमें से करीब 29 लाख संगठनों ने कोई बैलेंस शीट फाइल नहीं की. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी सहायता प्राप्त कर रहे गैर संगठनों की फंडिंग के ऑडिट कराने का आदेश दिया है.
31 मार्च तक रिपोर्ट सौंपे सरकार
कोर्ट ने कहा कि एनजीओ को सिर्फ ब्लैक लिस्ट करना काफी नहीं है. सरकार को इसके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करने की जरूरत है. सरकार को इन संगठनों का ऑडिट खत्म कर 31 मार्च तक अपनी रिपोर्ट पेश करनी है. SC ने सरकार को एनजीओ के पंजीकरण और फंडिंग की प्रक्रिया सुनिश्चित करने को कहा है.