सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर में लगे आर्टिकल 370 पर दायर की गई एक याचिका स्वीकार कर ली है. इस याचिका में आर्टिकल 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को दिए जा रहे स्पेशल ग्रांट को चैलेंज किया गया है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर नोटिस जारी किया है. याचिका में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाई जाए और वहां लागू अलग संविधान को भी अघोषित किया जाए.
यह याचिका ऐसे समय में दायर की गई है जब देश में आर्टिकल 35A को लेकर बहस चल रही है. नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारुक अब्दुल्ला ने भी कहा है कि अगर आर्टिकल 35A को अगर हटाया जाता है, तो इससे विद्रोह पैदा होगा. उन्होंने कहा कि 2008 में हुए अमरनाथ हादसे को नहीं भूलना चाहिए.
Supreme Court issues notice to the Centre Government on plea challenging the special status to J&K under article 370.
— ANI (@ANI_news) August 8, 2017
आइए जानते हैं दस प्वाइंटों में कि आखिर क्या है अनुच्छेद 370.
1. संविधान का अनुच्छेद 370 अस्थायी प्रबंध के जरिए जम्मू और कश्मीर को एक विशेष स्वायत्ता वाले राज्य का दर्जा देता है.
2. 370 का खाका 1947 में शेख अब्दुल्ला ने तैयार किया था, जिन्हें प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और महाराजा हरि सिंह ने जम्मू-कश्मीर का प्रधानमंत्री नियुक्त किया था.
3. शेख अब्दुल्ला ने 370 को लेकर यह दलील दी थी कि संविधान में इसका प्रबंध अस्थायी रूप में ना किया जाए. उन्होंने राज्य के लिए मजबूत स्वायत्ता की मांग की थी, जिसे केंद्र ने ठुकरा दिया था.
4. 370 के प्रावधानों के अनुसार संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है. लेकिन अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू कराने के लिए केंद्र को राज्य का अनुमोदन चाहिए.
5. इसी विशेष दर्जे के कारण जम्मू-कश्मीर पर संविधान का अनुच्छेद 356 लागू नहीं होता. राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है.
6. भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते हैं. यहां के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती है. एक नागरिकता जम्मू-कश्मीर की और दूसरी भारत की होती है.
7. यहां दूसरे राज्य के नागरिक सरकारी नौकरी नहीं कर सकते.
8. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 360 जिसमें देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता.
9. अनुच्छेद 370 की वजह से ही जम्मू-कश्मीर का अपना अलग झंडा और प्रतीक चिन्ह भी है.
10. 1965 तक जम्मू और कश्मीर में राज्यपाल की जगह सदर-ए-रियासत और मुख्यमंत्री की जगह प्रधानमंत्री हुआ करता था.