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SC ने सरकार से पूछा- पेट्रोल-डीजल के भाव एक क्यों नहीं?

सुप्रीम कोर्ट ने फिर कहा कि सरकार इस बात पर अपना रुख साफ करे कि क्या निजी और व्यावसायिक वाहनों के लिए डीजल और पेट्रोल की कीमत बराबर की जा सकती है?

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सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

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हिंदुस्तान की सर्वोच्च अदालत ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों को लेकर केंद्र की मोदी सरकार से अपना रुख साफ करने को कहा है. वायु प्रदूषण से निपटने के मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फिर कहा कि सरकार इस बात पर अपना रुख साफ करे कि क्या निजी और व्यावसायिक वाहनों के लिए डीजल और पेट्रोल की कीमत बराबर की जा सकती है?

कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 14 की तरह डीजल और पेट्रोल सब के भाव बराबर होने चाहिए. इसके जवाब में सरकार ने कहा कि हालांकि इसमें कई और बिंदुओं पर स्पष्टता ज़रूरी है....मसलन वाटर टैंकर और जन सेवाओं से जुड़े वाहन.

वायु प्रदूषण कम करने के मसले पर अमाइकस अपराजिता ने कहा कि सिर्फ निजी व व्यवसायिक वाहनों पर पाबंदी और कर लगाने का प्रस्ताव है, न कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट व पब्लिक यूटिलिटी वाहनों और खेती बाड़ी से जुड़े वाहनों पर.

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मामले में वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा कि डीजल वाहनों के इस्तेमाल में कमी के मकसद से GST दरों में भी बदलाव किया गया है, जिसका असर भी दिख रहा है. सुनवाई के दौरान अमाइकस ने अपनी सिफारिशों में ये भी कहा कि BS 1-2 पर पूरी तरह पाबन्दी लगे, नए डीजल वाहनों पर नहीं, क्योंकि उनकी तकनीक उन्नत है.

कोर्ट को यह भी बताया गया कि केंद्र सरकार के अफसरों के लिए एक हज़ार इलेक्ट्रिक कारें खरीदी गई हैं. वो चल भी रही हैं. उनके लिए शास्त्री भवन, निर्माण भवन सहित कई जगहों पर चार्जिंग पॉइंट भी लगाए हैं. अमाइकस ने कहा कि पिछली बार जब हमने इलेक्ट्रिक कारों की खरीद की बात कही थी, तो सरकार ने इस बाबत अनभिज्ञता जताई थी.

इस पर सफाई देते हुए सरकार ने कहा कि एक हज़ार और कारें खरीदने की प्रक्रिया जारी है. जब कोर्ट ने पूछा कि देश मे अभी कौन सी कम्पनी इलेक्ट्रिक कारें बना रही है, तो सरकार ने जवाब दिया कि टाटा और महिंद्रा.

कोर्ट ने फिलहाल वायु प्रदूषण घटाने के लिए किए जाने वाले उपायों पर रिपोर्ट तलब की है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 23 जुलाई को होगी.

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