पिछले दो दशक से रीत यही चली आ रही थी कि वैवाहिक कलह के मामलों में पत्नियों की अपील को तवज्जो दी जाती थी. कोर्ट उनकी सहूलियत को ध्यान में रखकर ही केस ट्रांसफर की अपील को मंजूरी देता था. इससे पतियों को काफी परेशानियां उठानी पड़ती थी. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.
गुरुवार को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एचएल दत्तू और जस्टिस एके सिकरी ने माना कि शादी से जुड़े मामलों में कोर्ट केवल पत्नियों की तरफ नरमी बरतता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'हर बार ऐसे मामलों में केवल पति ही क्यों कष्ट झेले?'
न्यायिक पीठ ने ये सूचित किया है कि अब से अगर केस ट्रांसफर की अपील दायर की जाती है तो केवल मंजूरी पत्नियों की सहूलियत के आधार पर नहीं होगी. अब ऐसे मामले में याचिका की मेरिट के आधार पर फैसला किया जाएगा, चाहे अपील किसी भी पक्ष ने की हो.
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे ही एक मामले में फैसला दिया. पत्नी ने अपील की थी कि मामले को गाजियाबाद से बेतुल कोर्ट में शिफ्ट किया जाए. लेकिन कोर्ट ने पति को होने वाली संभावित परेशानियों को देखते हुए अपील खारिज कर दी.