सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय और उनके दो निदेशकों की जेल से रिहाई की याचिका खारिज कर दी. तीनों लोगों को 31 अगस्त 2012 को शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए आदेश का पालन न करने पर चार मार्च को गिरफ्तार किया गया था.
अदालत ने सहारा समूह की दो रियल स्टेट कंपनियों सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसआईआरईसीएल) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसएचआईसीएल) को 2008-2009 में ओएफसीडीएस द्वारा निवेशकों से जुटाए पैसे को वापस लौटाने का आदेश दिया था.
वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने अदालत से आग्रह किया था कि उनके मुवक्किल को 15 फरवरी 2015 तक के लिए रिहा कर दिया जाए, जिस पर शीर्ष अदालत की न्यायाधीश टी.एस. ठाकुर, अनिल आर. दवे और न्यायाधीश ए.के. सिकरी की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि हम समझते हैं लेकिन स्थिति में कोई भी बदलाव नहीं आया है. धवन ने अदालत से कहा कि रॉय और उनके दो निदेशक रवि शंकर दुबे और अशोक रॉय चौधरी पहले ही 10 महीनों से जेल में हैं. उन्होंने आग्रह किया कि अदालत इन तीनों को रिहा कर दे और घर में नजरबंद रखने की अनुमति दे दे.
शीर्ष अदालत ने 26 मार्च को सहारा की दो कंपनियों सहारा इंडिया रीयल स्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसआईआरईसीएल) और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड को आदेश देते हुए कहा था कि वह बाजार नियामक सेबी के पास 5000 करोड़ रुपये नकद जमा कराएं, और 5000 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी दें. यह राशि दोनों कंपनियों द्वारा निवेशकों से इकट्ठा की गई 17,400 करोड़ की राशि का हिस्सा है. अदालत ने 31 अगस्त 2012 को अपने आदेश में कहा था कि यह राशि इसके दोगुने से भी ज्यादा है. साथ ही अदालत ने कहा था कि निवेशकों का पैसा 15 फीसदी ब्याज के साथ उन्हें लौटाया जाए.
इनपुट आईएएनएस से...