सुप्रीम कोर्ट ने जाट समुदाय को ओबीसी श्रेणी में शामिल करने के लिए
चुनावों से पहले केंद्र द्वारा जारी अधिसूचना पर रोक लगाने से इनकार कर
दिया.
प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि
दस्तावेजों का अध्ययन करने के बाद हम प्रथमदृष्टया इस बात से संतुष्ट हैं
कि यह तर्क नहीं दिया जा सकता कि फैसला लेने (जाटों को ओबीसी सूची में
शामिल करने) के लिए कोई सामग्री नहीं है.
न्यायमूर्ति सदाशिवम, न्यायमूर्ति
रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति एनवी रमन की पीठ ने कहा कि कोई मत व्यक्त करने
से पहले, आगे के विचार के लिए हम केंद्र को निर्देश देते हैं कि वह तीन
हफ्ते के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करे. कोर्ट अब इस मामले पर सुनवाई 1 मई को करेगा. मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले मंगलवार को जाटों को भी अन्य पिछड़े वर्ग में आरक्षण का लाभ देने की अधिसूचना के खिलाफ दायर याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा था.
सुप्रीम कोर्ट ने जाटों को अन्य पिछड़े वर्गों की श्रेणी में शामिल करने के निर्णय से संबंधित सारी सामग्री और फाइलें पेश करने का केंद्र
को निर्देश दिया था. कोर्ट ने केंद्र से इस बारे में नौ अप्रैल तक अपना पक्ष दाखिल करने को कहा था. मालूम हो कि देश के नौ राज्यों
(बिहार, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और एनसीआर) में करीब नौ लाख
जाट रहते हैं.