सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को जाट आरक्षण पर केंद्र की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी. केंद्र ने कोर्ट से अपील की थी कि वो जाटों को ओबीसी कोटे से बाहर किए जाने के अपने फैसले पर दोबारा विचार करे.
जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस आरएफ नारिमन की पीठ ने ने मांग ठुकराते हुए कहा कि यह मुद्दा पहले ही तय किया जा चुका है और उस फैसले में दखल देने का कोई कारण नहीं बनता. इसी के साथ जाटों की केंद्रीय नौकरियों में ओबीसी आरक्षण की अंतिम उम्मीद भी खत्म हो गई है.
जाट आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की थी केंद्र की अधिसूचना
सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल 17 मार्च को जाटों को केंद्रीय नौकरियों में आरक्षण देने वाली केंद्र सरकार की अधिसूचना रद्द कर
दी थी. उस अधिसूचना के जरिए केंद्र सरकार ने 9 राज्यों बिहार, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली,
राजस्थान में धौलपुर और भरतपुर जिला और उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के जाटों को केंद्रीय नौकरियों में ओबीसी आरक्षण
दिया था.
4 मार्च 2014 को UPA सरकार ने जारी की थी अधिसूचना
केंद्र की पिछली यूपीए सरकार ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिशों को दरकिनार कर ठीक लोकसभा चुनाव से
पहले 4 मार्च 2014 को अधिसूचना जारी कर 9 राज्यों के जाटों को केंद्र की ओबीसी सूची में शामिल कर लिया था.