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सबरीमाला केस बड़ी बेंच को सौंपा गया, SC ने कहा- मंदिर तक सीमित नहीं मामला

सुप्रीम कोर्ट ने केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर फैसला बड़ी बेंच को सौंप दिया है. कोर्ट इस बारे में गुरुवार को फैसला सुनाने वाला था लेकिन 5 जजों की बेंच ने कहा कि परंपराएं धर्म के सर्वमान्य नियमों के मुताबिक हों और आगे 7 जजों की बेंच इस बारे में अपना फैसला सुनाएगी. साफ है कि फिलहाल मंदिर में कोर्ट के पुराने फैसले के मुताबिक महिलाओं की एंट्री जारी रहेगी.

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मंदिर में महिला श्रद्धालु (फाइल फोटो- PTI)
मंदिर में महिला श्रद्धालु (फाइल फोटो- PTI)

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  • 7 जजों की बेंच को सौंपा गया सबरीमाला केस
  • मंदिर में जारी रहेगा महिलाओं का प्रवेश
  • धर्म के सर्वोच्च नियमों के मुताबिक हो परंपरा: SC

सुप्रीम कोर्ट ने केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर फैसला बड़ी बेंच को सौंप दिया है. कोर्ट इस बारे में गुरुवार को फैसला सुनाने वाला था लेकिन 5 जजों की बेंच ने कहा कि परंपराएं धर्म के सर्वमान्य नियमों के मुताबिक हों और आगे 7 जजों की बेंच इस बारे में अपना फैसला सुनाएगी. साफ है कि फिलहाल मंदिर में कोर्ट के पुराने फैसले के मुताबिक महिलाओं की एंट्री जारी रहेगी.

सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर 2018 के फैसले को कायम रखे हुए सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री को जारी रखा है और इस पर स्टे देने से साफ इनकार कर दिया है. कोर्ट में इस मुद्दे पर राय बंटी नजर आई 5 जजों की बेंच के 2 जज पुनर्विचार याचिका को खारिज करने के पक्ष में थे लेकिन बाकी जजों ने इस मुद्दे को बड़ी बेंच के पास भेजने का फैसला बहुमत के आधार पर लिया है.

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अन्य समुदायों पर भी असर

इस मुद्दे पर जस्टिस आर.एफ. नरीमन और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की राय अलग थी. उनका मानना था कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला मानने के लिए सभी बाध्य हैं और इसका कोई विकल्प नहीं है. दो जजों की राय थी कि संवैधानिक मूल्यों के आधार पर फैसला दिया गया है और सरकार को इसके लिए उचित कदम उठाने चाहिए.

सबरीमाला मसले पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस केस का असर सिर्फ इस मंदिर नहीं बल्कि मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश, अग्यारी में पारसी महिलाओं के प्रवेश पर भी पड़ेगा. अपने फैसले के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परंपराएं धर्म के सर्वोच्च सर्वमान्य नियमों के मुताबिक होनी चाहिए. अब बड़ी बेंच में जाने के बाद मुस्लिम महिलाओं के दरगाह-मस्जिदों में प्रवेश पर भी सुनवाई की जाएगी और ऐसी सभी तरह की पाबंदियों को दायरे में रखकर समग्र रूप से फैसला लिया जाएगा.

फैसले को पलटने की याचिकाएं

केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर सर्वोच्च अदालत ने 2018 में ही फैसला सुना दिया था. अदालत ने 10 से 50 साल की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत दे दी थी, अदालत के इसी फैसले पर कई पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गई थीं. इनमें से सुप्रीम कोर्ट ने कुल 65 याचिकाओं पर अपना फैसला दिया है, जिनमें 56 पुनर्विचार याचिका, 4 नई याचिका और 5 ट्रांसफर याचिकाएं शामिल हैं.

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इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस आर.एफ. नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा कर रहे थे. पीठ ने 6 फरवरी को अपने फैसले को सुरक्षित रख लिया था.

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