scorecardresearch
 

सबरीमाला मंदिर केस: महिलाओं के प्रवेश पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ करेगी फैसला

उच्चतम न्यायालय ने केरल के ऐतिहासिक सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक से संबंधित मामला अपनी संविधान पीठ को भेज दिया. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने संविधान पीठ के लिए कई सवाल तैयार किए.

Advertisement
X
प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो

Advertisement

उच्चतम न्यायालय ने केरल के ऐतिहासिक सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक से संबंधित मामला अपनी संविधान पीठ को भेज दिया. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने संविधान पीठ के लिए कई सवाल तैयार किए.

CJI की पीठ ने संविधान पीठ के लिए 5 सवाल तय किए

- क्या यह परम्परा महिलाओं के साथ लैंगिक भेदभाव है?

- क्या धार्मिक मान्यताओं का अटूट हिस्सा है?

- धार्मिक स्थल पर ऐसा किया जा सकता है?

- मंदिर के नियमों में बदलाव करने पर भी चर्चा

- क्या ये परम्परा संविधान के अनुच्छेद 25 यानी धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का हनन है?

इन सवालों में यह भी शामिल है कि क्या मंदिर महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगा सकता है? उच्चतम न्यायालय ने यह सवाल भी तैयार किया कि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाना क्या संविधान के तहत उनके अधिकारों का उल्लंघन है. पीठ ने कहा कि संविधान पीठ इस सवाल पर भी विचार करेगी कि क्या इस प्रथा से महिलाओं के खिलाफ भेदभाव होता है. न्यायालय ने मामला संविधान पीठ को भेजे जाने के मुद्दे पर 20 फरवरी को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था.

Advertisement

इस कारण है महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध

सबरीमाला मंदिर प्रबंधन ने उच्चतम न्यायालय को बताया था कि 10 से 50 वर्ष की आयु तक की महिलाओं के प्रवेश पर इसलिए प्रतिबंध लगाया गया है क्योंकि मासिक धर्म के समय वे शुद्धता बनाए नहीं रख सकतीं. शीर्ष न्यायालय मंदिर में ऐसी महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की प्रथा को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है.

केरल सरकार पक्ष में

गत वर्ष सात नवंबर को केरल सरकार ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया था कि वह ऐतिहासिक सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश के पक्ष में है.

यूडीएफ सरकार महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ

शुरुआत में एलडीएफ सरकार ने वर्ष 2007 में मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का समर्थन करते हुए प्रगतिशील रुख अपनाया था लेकिन बाद में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) सरकार ने इसके विपरीत रुख अपनाया. यूडीएफ सरकार ने तब कहा था कि वह 10 से 50 वर्ष की आयु के बीच की महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ है क्योंकि यह प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है.

Advertisement
Advertisement