SC/ST एक्ट में हुए बदलावों के खिलाफ केंद्र सरकार की पुनर्विचार याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने अपने पुराने फैसले पर किसी भी तरह से रोक लगाने से इनकार कर दिया है. साफ है कि केंद्र सरकार को इस फैसले से झटका लगा है. SC/ST एक्ट में हुए बदलावों को लेकर सोमवार को भारत बंद के दौरान दलित समुदाय का गुस्सा सामने आया. इस हंगामे के बीच केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर पुनर्विचार याचिका डाली थी.
इस मामले की सुनवाई जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस यूयू ललित की बेंच ने की. कोर्ट ने इस मामले में सभी पार्टियों से अगले दो दिनों में विस्तृत जवाब देने को कहा है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 10 दिन बाद होगी.
Good that the SC stuck with the correct interpretation of the Constituion on arrest.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) April 3, 2018
अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अभी की परिस्थिति काफी मुश्किल है, ये एक तरह के इमरजेंसी हालात हैं. 10 लोग अभी तक मर चुके हैं, हज़ारों-करोड़ों रुपए की संपत्ति का नुकसान हो गया है.
एमिकस क्यूरी अनरेंद्र शरण ने इस बात पर आपत्ति जताई है. शरण का कहना है कि लॉ एंड ऑर्डर की परिस्थिति सुप्रीम कोर्ट के आदेश को बदलने का कारण नहीं हो सकती है. उनका कहना है कि हम अन्य मुद्दों को सुनने के लिए तैयार हैं, लेकिन लॉ एंड ऑर्डर को सही रखना सरकार की जिम्मेदारी है.
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बता दें कि सोमवार को दलित संगठनों ने SC/ST एक्ट में हुए बदलावों के खिलाफ भारत बंद बुलाया था. इस बीच लगातार बढ़ते दबाव के बीच केंद्र सरकार ने सोमवार को ही रिव्यू पीटीशन डाली थी.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक निर्णय में एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामले में तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगाने को कहा था. जिसके बाद दलित संगठनों और नेताओं ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया था. आपको बता दें कि इस मुद्दे को लेकर केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान, थावरचंद गहलोत सहित कई सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की थी.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के विरोध में दलित समुदाय ने दो अप्रैल को भारत बंद बुलाया था. इस दौरान देशभर में हिंसक प्रदर्शन हुए थे. इन प्रदर्शनों में 10 लोगों की मौत हो गई, जबकि हज़ारों-करोड़ रुपए की संपत्ति का नुकसान हो गया है. इस मामले में कई राज्यों की पुलिस ने हज़ारों अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है.