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SC का दिल्ली और केंद्र सरकार पर तंज, कहा- फाइलों का बोझ बढ़ा, अमल नहीं हुआ

कोर्ट ने सरकार के हलफनामों की मोटी मोटी फाइलों पर तंज़ करते हुए कहा कि ये भी कचरा बढ़ाने वाली हैं. आपने फाइलों का बोझ तो बढ़ाया लेकिन उन पर अमल नहीं किया.

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डेंगू और वेस्ट मैनेजमेंट पर सुनवाई के दौरान टिप्पणी
डेंगू और वेस्ट मैनेजमेंट पर सुनवाई के दौरान टिप्पणी

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सुप्रीम कोर्ट ने राजधानी में कचरे को लेकर केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है. कोर्ट ने सरकार के हलफनामों की मोटी-मोटी फाइलों पर तंज़ करते हुए कहा कि ये भी कचरा बढ़ाने वाली हैं. आपने फाइलों का बोझ तो बढ़ाया लेकिन उन पर अमल नहीं किया.

सरकार खुद करें हलफनामों का प्रबंध

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट दिल्ली सहित कई राज्यों में डेंगू, चिकनगुनिया, और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेन्ट दुरुस्त करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है. कोर्ट में जस्टिस मदन बी लोकुर की पीठ ने केंद्र सरकार द्वारा दाखिल 850 पेज़ के हलफ़नामे को रिकॉर्ड पर लेने से साफ मना कर दिया. आपको तो खुद इनके लिए ही प्रबन्धन की ज़रूरत है.

ये हैं सॉलिड वेस्ट

कोर्ट ने केंद्र को फटकारते हुए कहा कि ये खुद में सॉलिड वेस्ट हैं और हम कचरा ढोने वाले नहीं हैं. जब आपको इसे पढ़ने की फुरसत नहीं तो आप हमसे इसकी उम्मीद कैसे करते हैं? कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर दिल्ली को सफाई के मामले में आप रोल मॉडल मानेंगे तो आप गलत है क्योंकि यहां हालत बहुत खराब है. ये प्रदूषण को लेकर भयावह हालात है.

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जो अफसर हलफनामा लेकर आया, उसे ही जानकारी नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि कोर्ट में ऐसे ऑफिसर भेजिए जिसको कुछ पता हो और पिछली मीटिंग की सारी जानकारी कोर्ट के साथ साझा करें. बुधवार तक मिनट ऑफ मीटिंग की जानकारी भी हलफ़नामे में दे. क्योंकि कोर्ट की झाड़ सुन रहे दिल्ली सरकार के वकील वसीम कादरी ने कहा कि जो अफसर ये हलफनामा लेकर आया है उसे कुछ भी पता नहीं.

चिट्ठियां और जवाब नहीं, फैसलों का ब्यौरा दें सरकार

कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के हलफ़नामे को स्वीकार करने से इनकार करते हुए कहा कि अगली बार ये 35 राज्यों की चिट्ठियां और जवाब लाने की ज़रूरत नहीं है. आप हमें राज्यों की कमेटियां, उनकी मीटिंग कब, कहां हुई, लिए गए फैसले और पदधिकारियों का ब्यौरा दे दें.

3 हफ्ते बाद होगी अगली सुनवाई

केंद्र और राज्यों को इस बाबत निर्देश देने की अपील पर कोर्ट ने कहा कि हम आदेश तो देते हैं लेकिन कोई उसे लागू नहीं करता. इस मामले की अगली सुनवाई 3 हफ्ते बाद होगी.

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