सुप्रीम कोर्ट ने हज यात्रा पर 9 फीसदी जीएसटी लगाए जाने पर केंद्र सरकार से अपना पक्ष रखने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक याचिका में हज यात्रा को जीएसटी से छूट देने की अपील की गई है.
इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के अधिवक्ता अटॉर्नी जनरल से जवाब देने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपील में कहा गया है कि हज एक धार्मिक यात्रा है और इस पर जीएसटी लागू नहीं होना चाहिए.
इससे पहले भी हज यात्रा पर जीएसटी हटाने की मांगें उठती रही हैं.
वर्ष 2018 से 2022 के लिए बनी नई हज नीति के तहत इस यात्रा पर जीएसटी लगाने का प्रावधान है. इस आशय का प्रस्ताव केंद्र सरकार का अल्पसंख्यक मंत्रालय अक्टूबर 2017 में लाया था. तभी से मुस्लिम तबकों में इस नीति का विरोध हो रहा है.
एक अनुमान के मुताबिक जीएसटी लगने के बाद हज यात्रा पहले के मुकाबले 20 हजार रुपए या इससे भी महंगी हो सकती है.
इस नीति के तहत हर साल हज और उमराह पर जाने वाले यात्रियों की जेब पर बोझ बढ़ सकता है. हज कमेटी का कुल कोटा 1 लाख 70 हजार यात्रियों का होता है. इसमें से सरकार और प्राइवेट टूर ऑपरेटर के बीच 70:30 के अुनपात में बंटवारा होता है.
हाल ही में भारत सरकार ने सऊदी अरब सरकार से एक समझौता करके पानी के जहाज द्वारा हज यात्रा को हरी झंडी भी दी है. आने वाले सालों में जलमार्ग से हज यात्रा करना संभव हो सकेगा.
इससे पहले, मुंबई से समुद्री मार्ग के जरिए जेद्दा जाने का सिलसिला 1995 में रुक गया था. जल मार्ग से हज यात्रा पर जाना अपेक्षाकृत सस्ता पड़ता है. अनुमान है कि यह 2300 समुद्री मील की यह दूरी सिर्फ तीन से चार दिनों में पूरी की जा सकती है.
इसके अलावा, केंद्र सरकार ने व्यवस्था की है कि भारतीय महिलाएं बिना 'महरम' (पुरुष रिश्तेदार) के हज पर जा सकेंगी. इन महिलाओं के लिए सऊदी अरब में ठहरने के लिए अलग इमारतों और यातायात की व्यवस्था भी की गई है. इन महिला हज यात्रियों के सहयोग के लिए महिला हज असिस्टेंट रहेंगी.