वन रैंक वन पेंशन लागू करने को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से 8 हफ्ते में जवाब मांगा है. इंडियन एक्स सर्विसमैन मूवमेंट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मोदी सरकार द्वारा घोषित वन रैंक वन पेंशन योजना पर असंतुष्टि जताई है. याचिका में कहा गया है कि सरकार द्वारा लागू की गई योजना कोश्यारी कमेटी की सिफारिशों पर आधारित नहीं है. सरकार ने कमेटी की सिफारिशों को पूरी तरह नहीं माना है.
सिफारिशों को किया गया दरकिनार
याचिका में मांग की गई है कि वन रैंक वन पेंशन योजना कोश्यारी कमेटी की सिफारिशों के आधार पर लागू की जाए. सेना में लंबे समय से वन रैंक वन पेंशन लागू करने की मांग चल रही है. यूपीए सरकार ने 2014 में संसद में वन रैंक वन पेंशन स्कीम लागू करने की घोषणा की थी, लेकिन योजना लागू नहीं की. इसके बाद मोदी सरकार सत्ता में आई. मोदी सरकार ने भी वन रैंक वन पेंशन लागू करने का वादा किया था और अपना वादा निभाते हुए योजना लागू भी कर दी है. लेकिन कोश्यारी कमेटी की कई सिफारिशों को दरकिनार किया गया.
'अभी हैं कई कमियां'
वन रैंक वन पेंशन की लड़ाई लड़ रहे इंडियन एक्स सर्विसमैन मूवमेंट के चेयरमैन लेफ्टिनेंट जनरल राज कादियान कहते हैं कि सरकार ने योजना लागू कर दी है और ज्यादातर लोग खुश हैं. हालांकि अभी भी दस पंद्रह फीसद कमियां हैं, जिसे वे सरकार के साथ बातचीत के जरिए सुलझाना चाहते हैं. लागू योजना में कोश्यारी कमेटी की सिफारिशों को पूरी तरह लागू नहीं किया गया.
वह बताते हैं कि लागू योजना में कुछ अंतर हैं. कमेटी ने कहा था कि रैंक और सेवा अवधि बराबर होने पर पुराने पेंशनर्स की पेंशन नए के बराबर की जाए और जब कभी नए पेंशनर्स की पेंशन बढ़े तो अपने आप पुराने की उसी तरह बढ़ जाएगी. कादियान का कहना है कि जिस तरह से वेतन हर साल तीन फीसद बढ़ता है उसी तरह पेंशन भी हर साल तीन फीसद बढ़नी चाहिए. लेकिन सरकार ने पेंशन पांच साल में बढ़ाने की बात कही है. इस पर भी लोगों को एतराज है.