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लोकपाल नियुक्ति पर SC की केंद्र को कड़ी फटकार, कहा- नहीं कर सकते जनादेश का अपमान

प्रशांत भूषण की संस्था द्वारा दाखिल याचिका पर टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जनवरी 2014 में संसद ने लोकपाल कानून पास किया लेकिन लोकपाल की नियुक्ति अब तक नहीं हुई है.

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सुप्रीम कोर्ट की केंद्र को फटकार
सुप्रीम कोर्ट की केंद्र को फटकार

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लोकपाल की नियुक्ति न होने पर नाराजगी जाहिर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा की आखिर 2014 से अब तक लोकपाल की नियुक्ति क्यों नहीं हो पायी है. कोर्ट ने सरकार से पूछा कि आखिर अब तक लोकपाल कानून में संशोधन क्यों नहीं किया गया है ? क्यों सरकार संशोधन करने से अपने कदम क्यों पीछे खींच रही है ?

मुख्य न्यायधीश ने टिप्पणी करते हुए कहा इस सरकार को बने ढाई साल हो चुके हैं, जब तक ये सरकार है कोई भी नेता प्रतिपक्ष नहीं बन सकता तो क्या इस वजह से लोकपाल की नियुक्ति अटकी रहेगी ?? हम ऐसा कैसे होने दे सकते हैं कि लोकपाल जैसी संस्था का कोई मतलब ही न हो.

प्रशांत भूषण की संस्था द्वारा दाखिल याचिका पर टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जनवरी 2014 में संसद ने लोकपाल कानून पास किया लेकिन लोकपाल की नियुक्ति अब तक नहीं हुई है.

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संशोधन एक्ट संसद में लंबित

सरकार ने कहा कानून के मुताबिक लोकपाल की चयन कमेटी में विपक्ष का नेता होना जरूरी हैं, लेकिन दुर्भाग्य से अभी संसद में कोई विपक्ष का नेता ही नही हैं, लोकपाल एक्ट में संशोधन का वो बिल अभी संसद में लंबित हैं जिसके जरिये सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता को भी लोकपाल चयन कमेटी का सदस्य बनाया जा सके.

नहीं कर सकते जनादेश का अनादर

सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि आखिर सरकार इस संशोधन को पास कराने से पीछे क्यों हट रही हैं, लोकपाल कानून काफी संघर्ष के बाद लाया गया है और सरकार लापरवाही करके जनादेश का अनादर नहीं कर सकती.

कोर्ट ने संकेत दिए कि सरकार का लचर रवैया रहने पर वो आदेश पास कर सकता हैं जिसके जरिये सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता को लोकपाल चयन कमेटी का सदस्य नियुक्त किया जाये.

कोर्ट में अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने दलील देते हुए कहा की सुप्रीम कोर्ट को यह अधिकार नहीं है कि संसद के काम करें और कानून बनाए. संसद को किस तरह चलना चाहिए यह बताने का अधिकार सुप्रीम कोर्ट के पास नहीं है. रोहतगी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ये कैसे मान सकती है कि संसद संशोधन बिल को लेकर संजीदा नहीं है. अटॉर्नी जनरल ने कहा कि वह सरकार से निर्देश लेकर कोर्ट को इस मामले में अवगत कराएगें, मामले की अगली सुनवाई 7 दिसंबर को होगी.

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