सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक संदेशों पर रोक लगाने के लिए नया कानून बनाने की जरूरत पर जोर दिया है. जस्टिस दीपक मिश्रा और प्रफुल्ल सी पंत की बेंच ने कहा कि सोशल मीडिया को नियंत्रित करने के लिए संसद को नया कानून लाना चाहिए.
सोशल मीडिया और इंटरनेट के दुरुपयोग पर चिंता जाहिर करते हुए न्यायाधीश दीपक मिश्रा और प्रफल सी पंत की बेंच ने कहा कि सोशल मीडिया के नियंत्रण के लिए संसद को नया कानून लाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट की विवादास्पद धारा 66ए पहले ही खारिज कर चुका है क्योंकि इस धारा को सही तरह से लिखा नहीं गया था और इसकी भाषा भी स्पष्ट नहीं थी. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, 'हम संसद से नया कानून लाने के लिए कह सकते हैं.'
सर्वोच्च अदालत की यह टिप्पणी तब सामने आई है, जब वरिष्ठ वकील एल नागेश्वर राव ने बेंच को बताया कि वॉट्सऐप पर हाल में एक संदेश वायरल हुआ था कि वह आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) के एक मामले में शामिल हैं. बतौर राव, उन्हें इसका पता उस वक्त चला जब सुप्रीम कोर्ट की बार एसोसिएशन के सेक्रेटरी ने उन्हें सूचना दी और कई दूसरे लोगों ने भी उन्हें इस बारे में फोन करके सूचित किया.