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ताजमहल पर किसका हक?, सुप्रीम कोर्ट 3 महीने बाद करेगा सुनवाई

ताजमहल के मालिकाना हक को लेकर सुप्रीम कोर्ट तीन महीने बाद सुनवाई करेगा. साथ ही कोर्ट ने सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को शाहजहां के दस्तखत वाले वक्फनामे का दस्तावेज दिखाने के लिए कहा है.

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सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

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ताजमहल के दावेदार तो कई हैं पर असली मालिकाना हक किसका है ये तो सुप्रीम कोर्ट ही तय करेगा? लेकिन कब इसका जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है. क्योंकि इस मामले की सुनवाई तीन महीने के लिए एक बार फिर टल गई है. इस मुकदमे की सुनवाई के दौरान सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया था कि मालिकाना हक हमारा है लेकिन हमारे पास ऐसा कोई सबूत नहीं है कि ताजमहल को हमारे नाम किया गया था. हालांकि, इसके इस्तेमाल को लेकर ये कहा जा सकता है कि ये वक्फ की संपत्ति है.

वक्फ बोर्ड ने कहा कि वैसे कोई भी इंसान इसके मालिकाना हक का दावा नहीं कर सकता. ये ऑलमाइटी (सर्व शक्तिमान) की संपत्ति है. हम मालिकाना हक नहीं मांग रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ताजमहल को वक्फ बोर्ड की संपत्ति घोषित करना ही मुख्य समस्या है.

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अगर आप कोई संपत्ति वक्फ की घोषित करते हैं तो उसकी समीक्षा की जा सकती है. इस मामले में वक्फ की मुश्किल ये है कि पहले तो प्रॉपर्टी को रजिस्टर कर दिया गया है लेकिन उस पर दावा नहीं कर रहे हैं. ये प्रॉपर्टी को अपने पास रखने का कोई आधार नहीं हो सकता.

सुप्रीम कोर्ट ने ASI को कहा कि अगली सुनवाई पर कोर्ट को बताए कि जो सुविधाएं अभी वक्फ को दे रहे हैं उसका देना जारी रखना है या नहीं? वहीं ASI ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि अगर ताजमहल को वक्फ बोर्ड की संपत्ति मानते हैं तो कल को लाल किला और फतेहपुर सीकरी पर भी अपना दावा करेंगे.

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि देश में ये कौन विश्वास करेगा कि ताजमहल वक्फ बोर्ड की संपत्ति है. इस तरह के मामलों से सुप्रीम कोर्ट का समय जाया नहीं करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी ASI की उस याचिका पर सुनवाई के दौरान की जिसमें ASI ने 2005 के उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड के फैसले को चुनौती दी है. इसमें बोर्ड ने ताजमहल को वक्फ बोर्ड की संपति घोषित कर दिया था.

कोर्ट ने कहा कि मुगलकाल का अंत होने के साथ ही ताजमहल समेत अन्य ऐतिहासिक इमारतें अंग्रेजों को हस्तांतरित हो गई थीं. आजादी के बाद से यह स्मारक सरकार के पास है और एएसआई इसकी देखभाल कर रहा है. बोर्ड की ओर से कहा गया कि बोर्ड के पक्ष में शाहजहां ने ही ताजमहल का वक्फनामा तैयार करवाया था. इस पर बेंच ने तुरंत कहा कि आप हमें शाहजहां के दस्तखत वाले दस्तावेज दिखा दें. बोर्ड के आग्रह पर कोर्ट ने एक हफ्ते की मोहलत दे दी.

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दरअसल, सुन्नी वक्फ बोर्ड ने आदेश जारी कर ताजमहल को अपनी प्रॉपर्टी के तौर पर रजिस्टर करने को कहा था. एएसआई ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. इस पर कोर्ट ने बोर्ड के फैसले पर स्टे लगा दिया था. मोहम्मद इरफान बेदार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दाखिल कर ताजमहल को उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड की संपत्ति घोषित करने की मांग की थी. लेकिन हाईकोर्ट में कहा कि वो वक्फ बोर्ड जाए.

बेदार ने 1998 में वक्फ बोर्ड का के समक्ष याचिका दाखिल कर ताजमहल को बोर्ड की संपत्ति घोषित करने की मांग की. बोर्ड ने ASI को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था और ASI ने अपने जवाब में इसका विरोध किया. ASI ने कहा कि ताजमहल उनकी संपत्ति है. लेकिन बोर्ड ने ASI की दलीलों को दरकिनार करते हुए ताजमहल को बोर्ड की संपत्ति घोषित कर दिया था.

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