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बाबरी विध्वंस मामले में आडवाणी, जोशी समेत 13 पर चलेगा आपराधिक मुकदमा, दो साल में पूरी होगी सुनवाई

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती को तगड़ा झटका दिया है. शीर्ष अदालत ने मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 13 लोगों के खिलाफ आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाने का आदेश दिया है.

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वरिष्ठ बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी
वरिष्ठ बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी

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बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती को तगड़ा झटका दिया है. शीर्ष अदालत ने मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 13 लोगों के खिलाफ आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाने का आदेश दिया है. हालांकि, इनमें से तीन का निधन हो चुका है तो अब 10 लोगों के खिलाफ मुकदमा चलेगा. अदालत ने दो साल के अंदर सुनवाई पूरी करने समेत कई बड़े फैसले किए हैं.

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस बाबत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बड़ा फैसला सुनाया है. न्यायाधीश पीसी घोष और न्यायाधीश रोहिंटन नरीमन की संयुक्त पीठ ने मामले में सीबीआई की अपील पर यह फैसला सुनाया है. हालांकि कोर्ट ने मामले में राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह को राहत दी है.

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क्या था मामला?
बाबरी मस्जिद विध्वंस का मामला दरअसल 6 दिसंबर 1992 का है. जब हजारों की संख्या में कारसेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद ढहा दिया, जिसके बाद देश भर में सांप्रदायिक दंगे हुए. सीबीआई ने कोर्ट से बीजेपी के वरिष्‍ठ नेता लालकृष्‍ण आडवाणी, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी और मध्य प्रदेश की पूर्व सीएम उमा भारती सहित 13 नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश का मुकदमा चलने की मांग की थी. सीबीआई की ओर से पेश वकील नीरज किशन कौल ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि रायबरेली की कोर्ट में चल रहे मामले को भी लखनऊ की स्पेशल कोर्ट में ट्रांसफर कर ज्वाइंट ट्रायल चलाया जाए.

छह अप्रैल को मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश नरीमन ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि इस मामले के कई आरोपी पहले ही मर चुके हैं और ऐसे ही देरी होती रही तो कुछ और कम हो जाएंगे. इस दौरान आडवाणी के वकील के के वेणुगोपाल ने मुकदमा ट्रांसफर करने का पुरजोर विरोध किया था. उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ऐसे केस ट्रांसफर नहीं कर सकती है. रायबरेली में मजिस्ट्रेट कोर्ट है, जबकि लखनऊ में सेशन कोर्ट इस मामले को सुन रहा है.

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सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत दी गई शक्तियों का इस्तेमाल करके रायबरेली में चल रहे मामले को लखनऊ की विशेष अदालत को ट्रांसफर किया है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पहले ही काफी देरी हो चुकी है. लिहाजा अब इस मामले की सुनवाई अगले 2 साल में पूरी हो और प्रतिदिन इसकी सुनवाई हो.

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क्या होगा असर?
लोअर कोर्ट ने हटाए थे आरोप बाबरी ढांचा ढहाए जाने के बाद यूपी के सीएम रहे कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती समेत बीजेपी-वीएचपी के 13 नेताओं पर आपराधिक साजिश रचने (120बी) का केस दर्ज किया गया था. रायबरेली की लोअर कोर्ट ने सभी पर से ये आरोप हटाने का आदेश दिया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी लोअर कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था.

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सीबीआई को आपत्ति थी, फैसले के खिलाफ हुई थी अपील
सीबीआई ने लोअर कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. इसी की सुनवाई चल रही है. पिटीशन में इलाहाबाद हाईकोर्ट के 20 मई 2010 के ऑर्डर को खारिज करने की मांग की गई है. सितंबर 2015 को सुनवाई के दौरान सीबीआई ने SC से कहा था, "एजेंसी के फैसले किसी से प्रभावित नहीं होते. बीजेपी नेताओं के खिलाफ क्रिमिनल कॉन्स्पिरेसी के चार्ज सीबीआई के कहने पर नहीं हटाए गए. सीबीआई के फैसले पूरी तरह स्वतंत्र होते हैं. एजेंसी के सभी फैसले तथ्यों और कानून को ध्यान में रखकर लिए जाते हैं. इस बात का सवाल ही नहीं उठता कि कोई व्यक्ति या संस्था एजेंसी के फैसलों को प्रभावित कर सके.''

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क्या कहा साध्वी ऋतंभरा ने
मामले में आरोपी साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि ये जानकर खुशी हुई कि दो साल में सुनवाई पूरी हो जाएगी. 25 साल से आरोपी के टैग के साथ रहना काफी बुरा अनुभव है. इस मामले का फैसला आना चाहिए.

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