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सुप्रीम कोर्ट में UIDAI ने कहा- आधार कानून सक्षम और मजबूत

UIDAI ने आधार मामले की सुनवाई के दौरान नागरिकों के डेटा की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में ज़ोरदार दलीलें दी है. UIDAI ने कहा कि आधार कानून सक्षम और मजबूत है. साथ ही कोर्ट से यह अपील की कि इस मामले में कोर्ट डॉक्टर जैसा रवैया अपनाए यानी मरीज का इलाज करते हुए इस योजना को मजबूत बनाने के उपाय बताए न कि इस योजना को खत्म करने की बात करे.

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फाइल फोटो
फाइल फोटो

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UIDAI ने आधार मामले की सुनवाई के दौरान नागरिकों के डेटा की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में ज़ोरदार दलीलें दी है. UIDAI ने कहा कि आधार कानून सक्षम और मजबूत है. साथ ही कोर्ट से यह अपील की कि इस मामले में कोर्ट डॉक्टर जैसा रवैया अपनाए यानी मरीज का इलाज करते हुए इस योजना को मजबूत बनाने के उपाय बताए न कि इस योजना को खत्म करने की बात करे. मामले की सुनवाई के दौरान UIDAI की तरफ से कहा गया कि निजता का अधिकार अपने आप मे सम्पूर्ण नहीं है. इसे भी बाकी मौलिक अधिकारों की तरह ही सीमित करना होगा यानी इस पर भी प्रतिबंध लागू हो सकता है. इतना ही नहीं, निजता के अधिकार को भी अन्य दूसरे नागरिक अधिकारों के साथ तालमेल बैठाना होगा.

आधार एक्ट के उद्देश्य के लिए अहम है कि कितनी सूचना जनता से ली जा रही है? इन तमाम तथ्यों को न्यायिक रूप से परखना होगा. आधार कानून में UIDAI को यह जानने का हक नहीं है कि किस विशेष कारण से आधार के नंबर का ऑथेंटिफिकेशन हुआ है. कोर बॉयोमेट्रिक जानकारी हम साझा कर ही नहीं सकते. एयरटेल और एक्सिस बैंक को जानकारी साझा करने को लेकर हम उनको दंडित भी कर चुके हैं. UIDAI ने IT एक्ट का हवाला देते हुए कहा कि अगर कोई व्यक्ति डेटा लीक करता है, तो जिस व्यक्ति की जानकारी लीक हुई है, उसके लिए मुआवजे का भी प्रावधान है.

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अदालत आधार मामले को एक डॉक्टर की तरह ट्रीट करे, जो अपने मरीजों को ठीक करने पर ध्यान देता है कि कैसे मरीजों को ठीक करना है? मरीज को कैसे बचाया जाए. अदालत को बताना चाहिए कि आधार एक्ट में और क्या-क्या सुधार करना चाहिए, न कि इसको खत्म करना चाहिए. UIDAI ने सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के समक्ष कहा कि आधार कानून बहुत मजबूत है. यह डेटा उल्लंघन के खिलाफ उचित और पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराता है.

पीठ के सदस्य जस्टिस चंद्रचूड ने मामले की सुनवाई के दौरान पूछा कि आधार कानून में सुरक्षा क्या है? क्या डेटा सुरक्षा नियम उल्लंघन होने पर कोई आपराधिक कार्रवाई या सजा की व्यवस्था की गई है? द्विवेदी ने कहा कि ये गलत है कि यूआईडीएआई 'मेटा डेटा' में व्यक्तिगत जानकारी एकत्रित और संग्रहित कर रहा है. उन्होंने कहा कि आधार कानून के तहत आपराधिक केस किया जाता है और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत सजा दी जाती है. उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति श्रीकृष्ण समिति एक कानून पर काम कर रही है, जो डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी और साथ ही किसी व्यक्ति की निजता के अधिकारों को संतुलित करेगी.

मेटा-डेटा में यह सुनिश्चित करने के लिए लिए अद्वितीय डिवाइस कोड है कि प्रमाणीकरण एजेंसी निर्धारित मानकों के अनुरूप है. बॉयोमैट्रिक आंकड़ों का कोई साझाकरण संभव ही नहीं है, क्योंकि डेटा पंजीकृत होने के बाद यह एन्क्रिप्टेड होकर स्टोर में संग्रहित किया जाता है. उन्होंने सहमति व्यक्त की कि तेजी से तकनीकी प्रगति डेटा की सुरक्षा में चुनौतियां पेश कर रही है. लिहाजा श्रीकृष्ण समिति इसके लिए एक मजबूत डेटा संरक्षण कानून स्थापित करने के लिए विचार कर रही है.

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उन्होंने कहा कि आधार समाज के गरीब और वंचित वर्गों को जीवन जीने और राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य पहचान देता है. आधार उन्हें गर्व, गरिमा और आत्मसम्मान देता है. साथ ही यह एहसास दिलाता है कि वे समाज का हिस्सा हैं. द्विवेदी ने कहा कि इस कानून का उद्देश्य लोगों को सस्ती कीमतों पर पर्याप्त भोजन सुनिश्चित कराना है, ताकि लोग गरिमा के साथ रह सकें और जीवन जी सकें. यह समाज के हाशिए वाले वर्गों के सामाजिक और आर्थिक अधिकारों के एकीकरण को सुनिश्चित करता है.

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