सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र में राज्य सरकार द्वारा डांस बार को बंद करना गलत था. इस फैसले के साथ ही डांस बार के फिर से खुलने का रास्ता साफ हो गया है. गौरतलब है कि अगस्त 2005 में महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे पोलिस एक्ट में तब्दीली कर डांस बार पर बैन लगा दिया था. राज्य के गृह मंत्री आरआर पाटिल ने कहा था कि इससे कई घर बर्बाद हो रहे हैं और राज्य भर में अश्लीलता फैल रही है. फैसले के खिलाफ डांस बार एसोसिएशन के लोग हाई कोर्ट गए थे, जहां उनके पक्ष में फैसला दिया गया था. इसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया
बार बालाओं ने दो दलीलें दीं कि ये हमारी रोजी रोटी है. राइट ऑफ एक्सप्रेशन है. हम अश्लीलता नहीं फैला रहे हैं. हमसे इसे न छीना जाए. ये हमारे संविधान का दिया गया रोजगार हासिल करने का हक है. कोर्ट ने इन दलीलों को सुनने के बाद बार बालाओं के पक्ष में फैसला दिया और सरकार को निर्देश दिया कि वह लॉ एंड ऑर्डर दुरुस्त रखने के लिए काम करे और अश्लीलता पर निगरानी रखने के लिए कोई व्यवस्था कायम करे.
2005 में जब डांस बार पर पाबंदी लगी थी तो मुंबई के आजाद मैदान में हजारों बार वर्कर्स और डांसर्स ने प्रदर्शन किया था. फैसला आने के बाद इस पेशे से जुड़ी रही कुछ लड़कियों ने आज तक से कहा कि ज्यादातर लोग तो दूसरे धंधों में लग गए हैं. कई लड़कियां कहीं और चली गई हैं. उधर डांस बार मालिक रहे कारोबारियों ने कहा कि पुराने लोगों को लाना तो मुश्किल होगा. वैसे भी रजिस्ट्रेशन और दूसरी कानूनी प्रक्रिया में अभी वक्त लगेगा.
700 से ज्यादा डांस बार थे मुंबई में
अप्रैल 2005 में मुंबई के डांस बार पर पहली बार प्रतिबंध लगा था. एक अनुमान के मुताबिक तब शहर में 700 से ज्यादा डांस बार चल रहे थे. हालांकि इनमें से आधे ही लाइसेंस लेकर काम कर रहे थे. जितने डांस बार पूरी मुंबई में थे, बाकी महाराष्ट्र में भी उतने बार नहीं थे. मुंबई के अलावा पूरे सूबे में लगभग 650 डांस बार थे. बताया जाता है कि इस इंडस्ट्री में लगभग डेढ़ लाख लोगों को रोजगार मिलता था. इनमें से आधी बार बालाएं थीं.