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बड़े फैसलों का साल 2018, इन मामलों के लिए सुप्रीम कोर्ट पर रहेगी नजर

साल 2018, कई बड़े फैसलों के वास्ते देश के लिए बेहद खास रहेगा. सुप्रीम कोर्ट को बाबरी मस्जिद विध्वंस मामला, निर्भया रेप कांड और आधार आदि से जुड़े कई बड़े मामलों पर अंतिम फैसला करना है.

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सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

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2017 के इतिहास बनने के बाद 2018 ने दस्तक दे दी है, और 1 जनवरी आने के साथ ही अब हर किसी की नजर इस नए साल पर होगी. पिछले हर साल की तरह यह नया साल भी कई मायनों में हमारे लिए बेहद खास रहेगा. देश की सर्वोच्च अदालत के पास भी ढेरों ऐसे पुराने मामले दर्ज है जिस पर उसे इस साल फैसला सुनाना है.

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामला

2018 का साल बाबरी मस्जिद विध्वंस मामला सुप्रीम फैसले के लिए बेहद अहम रहेगा. 1992 में अयोध्या में हुए बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले के बाद राम मंदिर-बाबरी मस्जिद से जुड़े जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. गुजरे साल मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली 3 जजों की बेंच ने अगली सुनवाई के लिए 8 फरवरी की तारीख तय की और कहा था कि अब मामले की सुनवाई लगातार की जाएगी, टाली नहीं जाएगी. उम्मीद है कि इस साल इस चर्चित मामले पर कोई फैसला आ जाएगा. हालांकि मुस्लिम संगठनों की ओर से सीनियर ऐडवोकेट कपिल सिब्बल ने कोर्ट में दलील दी थी कि 2019 जुलाई के बाद मामले की सुनवाई होनी चाहिए क्योंकि यह कोई आम जमीन विवाद नहीं है और इसका राजनीतिक स्तर पर काफी असर पड़ेगा.

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दिल्ली के 'बॉस' पर फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने 6 दिसंबर को दिल्ली के प्रशासनिक बॉस से जुड़े मामले को लेकर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है. कोर्ट को यह फैसला करना है कि दिल्ली की प्रशासनिक जिम्मेदारी दिल्ली सरकार के पास है या फिर केंद्र सरकार के पास रहेगी. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई में 5 जजों के बेंच ने 4 हफ्ते में 15 दिन चली सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया. दिल्ली सरकार के वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने बेंच के सामने जवाब दिया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद के पास विधायिका से जुड़े कानून बनाने का अधिकार है. जबकि केंद्र ने इसका विरोध किया कि अगर मामला राष्ट्रीय हित से जुड़ा हुआ है तो दिल्ली सरकार के पास कोई विशिष्ट विधाई अधिकार नहीं है.

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एडल्टरी कानून पर सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने साल 2017 के अंत में एक याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया, जिसमें वह एडल्टरी यानी परगमन से जुड़े विवादित कानून की सुनवाई करेगी. दाखिल याचिका में कहा गया है कि महिला के खिलाफ एडल्टरी का केस दर्ज किए जाने की कोई व्यवस्था नहीं है. IPC की धारा-497 के तहत एक ऐसा कानूनी प्रावधान है जिसके अनुसार अगर कोई शादीशुदा पुरुष किसी शादीशुदा महिला के साथ आपसी रजामंदी से यौनिक संबंध बनाता है तो उक्त महिला का पति एडल्टरी के नाम पर केस करा सकता है, जबकि यह व्यवस्था पुरुष के साथ नहीं है. केरल के एक अनिवासी भारतीय ने केस दर्ज कराते हुए IPC की धारा-497 की संवैधानिकता को चुनौती दी है.

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आधार मामले पर निर्णायक फैसला

देश में आधार कार्ड को लेकर हर ओर चर्चा है. सरकार ने सभी जरूरी चीज़ों और दस्तावेजों के साथ आधार को अनिवार्य कर दिया है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल सरकार से जुड़ी सभी कल्याणकारी सुविधाओं और सेवाओं के साथ-साथ अन्य जरूरी चीजों के लिए डेडलाइन बढ़ाते हुए 31 मार्च तक आधार से लिंक कराने की अनुमति दे दी. देश की शीर्ष अदालत इस बात की सुनवाई 17 जनवरी से शुरू करेगी कि आधार से निजता का उल्लंघन हो रहा है या नहीं.

'निर्भया रेप' मामला के दोषियों पर फैसला

5 साल पहले 16 दिसंबर को हुए निर्भया रेप मामले में पिछले साल मई में मौत की सजा पाए चारों दोषियों की ओर से दाखिल रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई के बाद फैसला किया जाना है. आरोपी मुकेश की ओर से अपनी दलीलें दी जा चुकी हैं जबकि अन्य दोषियों की ओर से दलीलें पेश की जानी है। मुकेश के वकील की ओर से पेश दलीलों के दौरान मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा था, "आप एक दोषी के लिए मृतक पीड़िता के माता-पिता पर राज्य और पुलिस को घूंस दिए जाने की बात कर रहे हैं. इसे बंद करिए. आप रिव्यू पिटिशन में ऐसी बातें नहीं कह सकते". सर्वोच्च कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 22 जनवरी तय की है.

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