सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रेमी जोड़े की मौत को सजा को सही मानते हुए उसे बरकरार रखा है. इस जोड़े को लड़की के परिवार के सात सदस्यों की हत्या के अपराध में मौत की सजा सुनाई गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने सजा बरकरार रखते हुए टिप्पणी की कि यह एक चौंकाने वाला और सनक से भरा कृत्य था.
चीफ जस्टिस एच एल दत्तू और न्यायमूर्ति अरूण मिश्र की पीठ ने परिवार के 10 महीने के बच्चे सहित सात सदस्यों की धारदार हथियार से हत्या करने की घटना को ‘दुर्लभतम’ करार देते हुए कहा कि दोषियों ने ‘किसी पछतावे का प्रदर्शन नहीं किया है और इसकी कम संभावना है कि उनमें सुधार होगा और वे भविष्य में किसी अपराध में लिप्त नहीं होंगे. कोर्ट ने दोषियों सलीम और शबनम की याचिका को खारिज कर दिया था जो उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा 2013 में सुनायी गयी सजा के खिलाफ दायर की थी.
मामले की सुनावई करते हुए पीठ ने कहा, ‘एक शिक्षित और सभ्य समाज में एक बेटी परिवार में बहुत जरूरी भूमिका निभाती है, विशेष तौर पर अपने अभिभावकों के प्रति. वह हमारे समाज के श्रेष्ठ मूल्यों की प्रतीक होती हैं जिस पर अभिभावक आंख मूंदकर भरोसा और विश्वास करते हैं.’ 15 अप्रैल 2008 को शबनम के पूरे परिवार की हत्या कर दी गयी थी और उसने शुरू मे बहाना किया था कि अमरोहा जिले में स्थित उसके घर पर अज्ञात हमलावरों ने हमला किया था.
-इनपुट भाषा से