सुप्रीम कोर्ट में आईपीएस गौरव दत्त सुसाइड केस की सुनवाई के दौरान जजों ने उनकी पत्नी श्रेयशी दत्त को कोर्ट में बुलाया है. सु्प्रीम कोर्ट के जजों ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि किन वजहों के चलते मृत आईपीएस की पत्नी ने जांच के लिए दायर याचिका वापस लेना चाहती हैं यह तभी स्पष्ट हो सकेगा जब वे खुद सुप्रीम कोर्ट में पेश होंगी.
श्रेयसी दत्त का इस याचिका को वापस लेने के पीछे कहना है कि वे मानसिक रूप से तब तैयार नहीं थीं जब उन्होंने केस दायर करने के लिए सहमति दी थी. गौरव दत्त ने अपने घर में 19 फरवरी 2019 में हाथ की नस काटकर आत्महत्या कर ली थी.
गौरव दत्त की आत्महत्या के बाद एक सुसाइड नोट सामने आया था. इस सुसाइड नोट में लिखा गया था कि उनकी आत्महत्या के लिए सीधे तौर पर सीएम ममता बनर्जी जिम्मेदार हैं. 19 फरवरी की रात में आईपीएस अधिकारी गौरव दत्त की लाश मिली थी. उन्होंने अपने बायें हाथ की नस काटकर आत्महत्या कर ली थी. सुसाइड नोट में लिखा गया था कि ममता बनर्जी ने उन्हें पहले अनिवार्य वेटिंग पर रखा फिर 31 दिसंबर 2018 को रिटायर होने के बाद उनकी बकाया राशि रोककर उन्हें खुदकुशी के लिए मजबूर कर दिया.
Sreyashi Dutt sought to withdraw her petition saying she wasn't in a proper mental condition when she agreed to file the case. Gaurav Dutt was found with a slit wrist at his home on February 19, 2019. https://t.co/R7PuaDsINh
— ANI (@ANI) May 9, 2019
कौन थे गौरव दत्त?
गौरव चंद्र दत्त 1986 बैच के आईपीएस थे. फरवरी 2010 में सीपीएम सरकार के दौरान गौरव दत्त को 9 महीने के लिए सस्पेंड किया गया था. एक सिपाही की पत्नी ने गौरव दत्त पर सेक्शुअल फेवर मांगने के आरोप लगाए थे. जिसके बाद उन्हें 9 महीने के लिए सस्पेंड किया गया था. 2012 में गौरव दत्त पर पैसे के हेरफेर का आरोप लगा था, जिसके बाद उन पर एक्शन लिया गया था और उसी के बाद से उन्हें वेटिंग में डाल दिया गया था. 31 दिसंबर, 2018 को गौरव दत्त रिटायर हो गए थे. हालांकि गौरव दत्त ने कहा था कि 2010 में उन्हों भ्रष्टाचार के खिलाफ एक्शन लिया था, तो उनपर आरोप लगाए गए थे.
क्या थी विवादित चिट्ठी?
गौरव दत्त के कथित सुसाइड नोट में लिखा गया था कि उन्होंने डीजीपी से दोनों केस बंद करने की मांग की थी. उनके खिलाफ दो मुकदमे चल रहे थे. एक केस की फाइल गुम हो गई थी और दूसरा केस जो भ्रष्टाचार का था, वो साबित नहीं हो पाया था. डीजीपी ने मुख्यमंत्री से रिक्वेस्ट की थी, लेकिन मुख्यमंत्री नहीं मानीं. गौरव ने विभाग में अलग-थलग पड़ जाने का आरोप लगाते हुए लिखा था कि उन्हें छुट्टी नहीं दी जाती थी, न तो कहीं डेप्युटेशन पर भेजा जा रहा था और न ही पासपोर्ट रिन्यू करने दिया जाता था. इन सबके पीछे मुख्मयंत्री का हाथ था.
(ANI इनपुट के साथ)