भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष औऱ कामनवेल्थ गेम्स के चेयरमैन सुरेश कलमाडी विवादों के घेरे में आ गये हैं. आज तक के पास इस बात के दस्तावेज हैं कि कलमाडी ने देश में फार्मूला वन रेस कराने के प्रोजेक्ट में अपने बेटे को फायदा पहुंचाने की कोशिश की. ये प्रोजेक्ट साढ़े चार हजार करोड़ का है औऱ इसे भारतीय ओलंपिक संघ ही फॉर्मूला वन से एक खास करार के जरिये देश में लेकर आया था. लेकिन उसके बाद खेल हो गया.
जेपीएसके स्पोर्टस को मिली है फार्मूला वन का ठेका
इस तरह की रोमांचक कार रेस को भारत में लाने का मौका बड़े चौंकाने वाले तरीके से भारतीय ओलम्पिक संघ के हाथों से निकल गया. दुनिया भर में यह रेस कराने वाली कम्पनी फार्मूला वन एडमिनिस्ट्रेशन ने भारत में इस तरह की रेस ट्रैक बनाने की सबसे पहली पेशकश भारतीय ओलम्पिक संघ से की थी. लेकिन ओलम्पिक संघ बेहद खामोशी से इस रेस से बाहर हो गया और बाद में फार्मूला वन ने यह ठेका जेपीएसके स्पोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड को दे दिया.
जेपीएसके के 13 फीसदी शेयर कलमाड़ी के बेटे के नाम
अहम बात यह है कि जेपीएसके के 13 फीसदी शेयर भारतीय ओलम्पिक संघ के अध्यक्ष सुरेश कलमाडी के बेटे सुमीर की कम्पनी सुलबा रियलटी प्राइवेट लिमिटेड को दे दिये गये. इस सब पर सुरेश कलमाडी साहब खामोश रहे और उनकी खामोशी की वजह तब साफ हुई जब जेपीएसके कम्पनी के बनने के एक महीने के भीतर ही यानि 16 नवम्बर 2007 को उनके बेटे सुमीर ने जीपीएसके के साथ रेस का आयोजन और कम्पनी में अपनी शेयर होल्डिंग को लेकर एक एग्रीमेंट कर लिया.
आज तक के हाथ लगे दस्तावेज जाहिर करते हैं कि फॉर्मूला वन रेस कराने के लिए जेपीएसके ने दो साझेदार बनाए. एक साझेदार सुमीर कलमाडी थे और दूसरे दिल्ली के बिजनेसमैन सुंदर मूलचंदानी. जेपीएसके के एग्रीमेंट के तहत शेयरों का बंटवारा कुछ यूं हुआ. 74 फीसदी शेयर जेपीएसके की पैरेन्ट कम्पनी जयप्रकाश एसोसियेट लिमिटेड को दिए गए. 13 फीसदी शेयर कलमाडी के बेटे सुमीर की कम्पनी सुलबा रियलटी को मिले और बाकी के 13 फीसदी शेयरों का हिस्सा सुंदर मूलचंदानी की कंपनी ट्रैकवर्क इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के खाते में गया.
सवाल ये है कि जब भारतीय ओलंपिक संघ से फॉर्मूला वन का करार टूट गया औऱ जेपीएसके के साथ फॉर्मूला वन का करार हुआ तो फिर कलमाडी के बेटे की कंपनी को शेयर क्यों और कैसे मिले. आखिर इस शेयर बंटवारे का मतलब क्या है औऱ हजारों करोड़ के इस प्रोजेक्ट से बेटे को फायदा क्या होना था.