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सुरेश प्रभु आज पेश करेंगे रेल बजट, यात्री किराए और माल भाड़े में कमी की उम्मीद कम

रेल मंत्री सुरेश प्रभु गुरुवार को अपना पहला रेल बजट पेश करने वाले हैं. रेल बजट से देशभर के यात्रियों की अपेक्षा और आकांक्षाएं जुड़ी हुई हैं. यह बजट इस मायने भी महत्वपूर्ण है कि अगले साल से केंद्र सरकार रेल मंत्रालय के बजट को आम बजट के तहत पेश कर सकती है. रेल किराए में कमी, नई ट्रेन, सुविधा, सुरक्षा और सबसे अधि‍क रेलवे आरक्षण को लेकर जैसी कई चुनौतियां रेल मंत्री के सामने हैं.

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रेल मंत्री सुरेश प्रभु पेश करेंगे अपना पहला रेल बजट
रेल मंत्री सुरेश प्रभु पेश करेंगे अपना पहला रेल बजट

रेल मंत्री सुरेश प्रभु गुरुवार को अपना पहला रेल बजट पेश करने वाले हैं. रेल बजट से देशभर के यात्रियों की अपेक्षा और आकांक्षाएं जुड़ी हुई हैं. यह बजट इस मायने भी महत्वपूर्ण है कि अगले साल से केंद्र सरकार रेल मंत्रालय के बजट को आम बजट के तहत पेश कर सकती है. रेल किराए में कमी, नई ट्रेन, सुविधा, सुरक्षा और सबसे अधि‍क रेलवे आरक्षण को लेकर जैसी कई चुनौतियां रेल मंत्री के सामने हैं, वहीं भूमि अधिग्रहण बिल पर किरकिरी के बीच सरकार के पास बड़ा मौका लोगों को रिझाने का भी है.

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हालांकि, इस रेल बजट से यात्री किराए और माल भाड़े में कमी की उम्मीद कम है. समझा जा रहा है कि सरकार सुरक्षा और सुविधा पर जोर देगी. जबकि नेटवर्क को बढ़ाने के बाबत कई बड़े ऐलान जिसमें एफडीआई भी शामिल है, को लेकर ऐलान हो सकता है. इन सब के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना यानी बुलेट ट्रेन भी है.

सपना और हकीकत
निगाहें सुरेश प्रभु पर हैं कि क्या वह प्रधानमंत्री मोदी का सपना पूरा कर सकते हैं, क्योंकि 9 कोच की बुलेट ट्रेन की कीमत है 60 हजार करोड़ रुपये है और 17 कोच की राजधानी एक्सप्रेस का खर्च 75 करोड़ है. यानी एक बुलेट ट्रेन के बजट में 800 राजधानी एक्सप्रेस चल सकती हैं. तो फिर तेज रफ्तार किसे चाहिए और अगर चाहिए तो फिर मौजूदा पटरियों पर खिसकती रेल गाड़ि‍यों के दिन फिरेंगे कब.

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रेलवे ट्रैक भी बड़ी जिम्मेदारी
मौजूदा वक्त में एक बड़ा सवाल ट्रेनों के परिचालन को लेकर भी है. भारतीय रेलवे की लेटलतीफी जगजाहिर है और इसके पीछे ट्रैक बड़ी समस्या है. रेलवे ट्रैक ठीक करने और नए रेलवे ट्रैक के जरिए रेलवे को विस्तार देने के लिए बीते तीस साल से सरकारों के पास 20 हजार करोड़ से लेकर 50 हजार करोड़ रुपये कभी नहीं रहे. इसका असर यह हुआ कि हर दिन 95 लाख लोग बिना सीट मिले ही रेलगाड़ी में सफर करते हैं. देश में रेलवे ट्रैक के हालात ऐसे हैं कि करीब 30 हजार किलोमीटर ट्रैक को सुधारने की जरूरत है और 40 हजार किलोमीटर नया रेलवे ट्रैक बीते 10 वर्षों से ऐलान तले ही दबा हुआ है. यानी कोई भी रेल की हालात देख कर कह सकता है कि आजादी के बाद से ही रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर को देश के विकास के साथ जोड़ने की दिशा में किसी ने सोचा ही नहीं.

हर दिन सवा करोड़ ग्रामीण और मजदूर यात्री
इस ओर एक बड़ा परिवर्तन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काल में आया है. मोदी ने देश को बुलेट ट्रेन का सपना दिखलाया है. तो क्या देश का असल सच यही है कि देश का विकास एकतरफा और शहरी केन्द्रीकृत है. लेकिन ट्रेन में सफर करने वाले ज्यादातर लोग ग्रामीण और मजदूर तबके से हैं. इनकी तादाद हर दिन सवा करोड़ के करीब है. वजह भी यही है कि भारतीय रेल की तस्वीर जब भी आंकड़ों में उभरती है तो ऊपर से नीचे तक ठसाठस भरे यात्री और रफ्तार करीब 50 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे की नजर आती है.

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यानी सवाल उस आम आदमी का पहले है, जो जान हथेली पर लेकर ट्रेन में इसलिए सवार होता है, क्योंकि कोई दूसरा चारा नहीं है. ऐसे में रेल बजट पर एक बार फिर आम आदमी की निगाह है, जो 67 साल बाद भी जरूरत के वक्त ट्रेन में बर्थ, वक्त पर ट्रेनों का आगमन, कालाबाजारी से राहत, साफ पानी और सुरक्षा जैसी बुनियादी बातें मांग रहा है.

तो क्या सुरेश प्रभु गुरुवार को पेश होने वाले रेल बजट में हाशिए पर पड़े आम रेलयात्री के लिए कोई खास घोषणा करेंगे या उनकी आंखों में कॉरपोरेट पूंजी पर सवार होकर रेलवे को मॉडर्न बनाने का सपना होगा. जहां बुलेट ट्रेन, हाई स्पीड ट्रेन, ट्रेनों में वाईफाई, स्टेशनों को मॉडर्न बनाने के लिए पीपीपी मॉडल और एफडीआई की ज्यादा बात होगी.

खाने की क्वालिटी और कैटरिंग
भारतीय रेलवे ने हाल ही में घोषणा की कि अब ट्रेनों में पिज्जा भी सर्व किया जाएगा. डॉमिनोज से इस ओर करार किया गया है. लेकिन रेल में परोसा जाने वाला आम यात्री का खाना कैसा हो, इसे लेकर सवाल और प्रयासों के बावजूद विफलता की कहानी नई नहीं है. आए दिन, खाने में गंदगी, बासी खाना और ऐसी ही कई शिकायतें सुनने को मिलती हैं. तो कुल मिलकार 'प्रभु' भरोसे जिस रेल पर सवार होकर केंद्र सरकार आम जन से लेकर कॉरपोरेट सेक्टर तक को लुभाने की कोशि‍श कर रही है. उन्हीं सुरेश प्रभु के सामने चुनौतियों का अंबार भी है. बहरहाल, इंतजार गुरुवार का है जब सुरेश प्रभु रेल बजट सदन के पटल पर रखेंगे.

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