दो साल पहले हुई सर्जिकल स्ट्राइक का वीडियो आने के बाद से विपक्ष और सरकार के बीच बयानबाजी चल रही है. दो दिन पहले ही सर्जिकल स्ट्राइक का वीडियो आया तो कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर इसका राजनीतिक लाभ लेने का आरोप लगाया. लेकिन इस बयानबाजी के बीच सर्जिकल स्ट्राइक की निगरानी करने वाले अफसर पूर्वी नॉर्दर्न आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) डीएस हुडा ने कहा है कि ये फैसला पूरी तरह से राजनीतिक नेतृत्व का था.
उन्होंने कहा कि इस फैसले पर सेना पूरी तरह से सहमत थी, क्योंकि हम कुछ करना चाहते थे. हुड्डा बोले कि अगर हम भविष्य में भी पाकिस्तान को कड़ा जवाब देना चाहते हैं तो ये हम दोबारा भी कर सकते हैं.
Decision finally came from political leadership but military was in agreement that we needed to do something. If we want to send another strong response to Pak in the future we can definitely do it again: Lt General (Retd) DS Hooda who oversaw 2016 #SurgicalStrike Operation pic.twitter.com/kJjI3Xr10X
— ANI (@ANI) June 29, 2018
कांग्रेस और सरकार थे आमने-सामने
दरअसल, कांग्रेस की ओर से इस वीडियो की टाइमिंग पर सवाल उठाए गए थे. कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार सर्जिकल स्ट्राइक का राजनीतिकरण कर रही है. इस पर अब मोदी सरकार और बीजेपी की ओर से पलटवार हुआ है.
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस लगातार सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठा रही है. इससे पाकिस्तानी आतंकवादियों को खुशी मिल रही होगी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सर्जिकल स्ट्राइक को खून की दलाली कहा था. उनकी माता सोनिया गांधी ने इससे पहले मौत के सौदागर जैसे शब्दों का प्रयोग कर चुकी हैं.
उन्होंने कहा कि गुलाम नबी आजाद भी सेना पर सवाल उठा रहे हैं और कह रहे हैं कि सेना आतंकवादियों को कम बल्कि नागरिकों को ज्यादा मारते हैं.
कांग्रेस की ओर से रणदीप सुरजेवाला ने कहा था कि बीजेपी ने देश के शहीदों के बलिदान का अपमान किया. उनकी शहादत का लज्जाजनक इस्तेमाल किया. यूपीए कार्यकाल में भी सर्जिकल स्ट्राइक हुई है.
आपको बता दें कि 29 सितंबर 2016 को भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सीमा में तीन किमी भीतर जाकर इस सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था.
सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान भारतीय सेना ने रॉकेट लॉन्चर, मिसाइलों और छोटे हथियारों से हमला किया था. यह हमला भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में भारतीय सेना के कैंप हुए आतंकी हमले की जवाबी कार्रवाई के तौर पर किया था. पाकिस्तान की ओर से उरी में 18 सितंबर को हमला किया गया. इस घटना के 11वें दिन बाद सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया गया.
सर्जिकल स्ट्राइक के होने के बाद कई राजनीतिक दलों और नेताओं ने इसपर सवाल खड़े किए थे और सबूत मांगे थे. हाल ही में कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज की किताब 'कश्मीर: गिलम्पसेज ऑफ हिस्ट्री एंड द स्टोरी ऑफ स्ट्रगल' के विमोचन के मौके पर पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने सर्जिकल स्ट्राइक को 'फ़र्जिकल स्ट्राइक' करार देते हुए आरोप लगाया था कि चीन, पाकिस्तान और बैंक को लेकर मोदी सरकार के पास कोई नीति नहीं है.