यमुना को प्रदूषण मुक्त बनाने और उसका जल प्रवाह बढ़ाने के उद्देश्य से मथुरा के वृंदावन से 11 दिन की पदयात्रा करके राष्ट्रीय राजधानी पंहुच गई है. इस मुद्दे पर लोकसभा की नेता प्रतिपक्ष ने सुषमा स्वराज ने सरकार पर निशाना साधा है.
सुषमा स्वराज ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि यमुना नदी मथुरा जाते जाते लगभग सूख गयी है और दिल्ली में भयंकर रूप से प्रदूषित है. मथुरा में पुजारी इसके प्रदूषित जल से ही पूजा अर्चना करने को बाध्य हैं.
कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि अगर ये नदी रायबरेली से गुजर रही होती तो कभी का साफ हो चुकी होती. उन्होंने कहा कि यमुना को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए हजारों करोड़ो रुपये खर्च किये जाने के बाद भी ये जैसी की तैसी है.
सुषमा ने कहा कि अगर सरकार में इच्छाशक्ति हो तो इसे फिर से स्वच्छ जल से लबालब किया जा सकता है. उन्होंने गुजरात का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां साबरमती नदी सूख गयी थी लेकिन नर्मदा से जोड़कर उसे फिर से जल से लवरेज कर दिया गया है.
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में भी क्षिप्रा नदी को नर्मदा से जोड़ा जा रहा है. सुषमा ने सरकार से सवाल किया कि इतना अधिक धन खर्च करने के बावजूद यमुना नदी में न तो जल का प्रवाह बढा और न ही प्रदूषण घटा.
इस बीच ‘यमुना मुक्तिकरण’ पदयात्रियों का समर्थन करते हुए लोकसभा ने एक स्वर में कहा कि इस मुहिम में सदन उनके साथ है.
शून्यकाल में यह मुद्दा उठाए जाने पर लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने कहा, ‘यमुना की दयनीय स्थिति से विचलित होकर वृंदावन-मथुरा से पदयात्री आज यहां आए हैं. गंगा और यमुना जीवनदायिनी नदियां हैं. ये देश के किसानों, कृषि, साधारण जनता और उसकी आस्थाओं से जुड़ी हैं.’
उन्होंने कहा, ‘सदन एक स्वर में पदयात्रियों आश्वस्त करे कि वह उनके साथ है. पूरे सदन ने, हर सदस्य ने इस विषय से अपने को सम्बद्ध किया है.’
पर्यावरण एवं वन मंत्री जयंति नटराजन ने सदन को आश्वस्त किया कि यूपीए सरकार गंगा और यमुना को साफ करने के कार्य को अत्यंत गंभीरता से ले रही है. उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने ही गंगा और यमुना को स्वच्छ करने की योजना शुरू की थी और अगर ऐसा नहीं किया गया होता तो इन नदियों की दुर्दशा और भी भयंकर होती.