परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता के लिए भारत की कोशिशों में चीन की ओर से टांग अड़ाई जा रही है. संसद के मानसून सत्र के तीसरे दिन बुधवार को सरकार ने इसे कबूल करते हुए कहा कि वह चीन के साथ मतभेदों को दूर करने लिए हर संभव कदम उठा रही है.
मोदी सरकार की ओर से सदन में साफ किया गया है कि भारत कभी भी परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं करेगा. हालांकि भारत हमेशा से हथियारों की होड़ नहीं होने देने के लिए प्रतिबद्ध है.
एनपीटी के नाम पर चीन ने एनएसजी की राह रोकी
लोकसभा में सुप्रिया सुले और सौगत बोस के पूरक प्रश्न का जवाब देते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि मैंने पहले भी कहा था, आज भी कह रही हूं, सदन में कह रही हूं कि चीन ने प्रक्रियागत विषयों को उठाया था. चीन ने कहा था कि एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं करने वाला देश एनएसजी का सदस्य कैसे बन सकता है. इस तरह से चीन ने बाधाएं खड़ी की .
चीन के बहाने कांग्रेस को भी घेरा
चीन के बहाने कांग्रेस को घेरे में लेते हुए सुषमा ने कहा कि एक बार कोई नहीं माने तो हम यह नहीं कह सकते कि वह कभी नहीं मानेगा. उन्होंने कहा कि हमारे कांग्रेस के मित्र जीएसटी पर नहीं मान रहे हैं. बाकी सभी दल मान गए हैं. केवल कांग्रेस नहीं मान रही है. हम मनाने में लगे हैं.
विदेश मंत्री ने कहा कि लेकिन कांग्रेस एक बार नहीं माने तो क्या हम यह कहें कि वे कभी नहीं मानेंगे. हम मनाने में लगे हैं, हो सकता है कि जीएसटी इसी सेशन में पास हो जाए.
हम एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे
सुषमा स्वराज ने कहा कि 2008 में असैन्य परमाणु संबंधी जो छूट हमें मिली थी, उसमें एनपीटी का सदस्य बने बिना ही आगे बढ़ाने की बात कही गई थी. उन्होंने साफ किया कि हम एनपीटी पर कभी हस्ताक्षर नहीं करेंगे. इसके लिए हमारी पूर्ण प्रतिबद्धता है.
एनपीटी पर पहले की सरकार के स्टैंड पर कायम
स्वराज ने कहा कि हम इसके लिए पहले की सरकार को भी क्रेडिट देते हैं. 2008 के बाद से छह साल इस प्रतिबद्धता को पहले की सरकार ने पूरा किया और इसके बाद वर्तमान सरकार इसे आगे बढ़ा रही है. उन्होंने कहा कि एनएसजी की सदस्यता के लिए भारत ने आधा अधूरा नहीं बल्कि भरपूर कोशिश की.
एनएसजी सदस्यता की राह में आगे बढ़ा भारत
सुषमा ने कहा कि एनएसजी की सदस्यता के प्रयास में भारत को सफलता नहीं मिलने को कूटनीतिक विफलता नहीं माना जा सकता. यह सही नहीं है. उन्होंने कहा कि पहले यह कहा जाता था कि क्या भारत एनएसजी का सदस्य बन पाएगा. अब यह पूछा जाने लगा है कि भारत एनएसजी का सदस्य कब तक बनेगा?