हाल ही पाकिस्तान दौरे से लौटीं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज सोमवार को संसद में अपनी यात्रा पर बयान देने उठीं, तो विपक्ष के हंगामे और शोर के बीच मुद्दा हरी साड़ी और उर्दू जबान पर केंद्रित हो गया. लोकसभा में शोरगुल के बीच सुषमा ने कहा वह हर बुधवार को हरी साड़ी पहनती हैं और उर्दू हिंदुस्तान में भी बोली जाती है.
राज्यसभा में भी कांग्रेस ने उनके बयान पर जमकर हंगामा किया, वहीं लोकसभा में उन्होंने कहा, 'मेरे पाकिस्तान जाने की आलोचना करने वाले अजीब-अजीब आलोचना करते हैं. साड़ी का रंग हरा क्यूं था? उर्दू क्यों बोली? ...क्यूं न बोलती? उर्दू मेरे मुल्क की भी जुबान है और मैं हर बुधवार को हरी साड़ी पहनती हूं.'
भारत और पाकिस्तान के बीच बेहतर संबंधों को पूरे क्षेत्र की शांति के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए स्वराज ने कहा कि पाक से दूरियों को पाटना जरूरी है. उन्होंने उम्मीद जताई कि ‘समग्र द्विपक्षीय वार्ता’ के तहत पड़ोसी देश के साथ बातचीत से अमन और विकास का नया अध्याय शुरू होगा.
'तीसरी पार्टी की मध्यस्थता में बातचीत स्वीकार नहीं'
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस्लामाबाद यात्रा और भारत व पाकिस्तान के बीच रिश्तों के संबंध में संसद में दिए बयान में कहा, 'बातचीत किसी तीसरे की मध्यस्थता में नहीं होनी है. तीसरी पार्टी की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेंगे. बातचीत दोनों देशों को ही करनी होगी, इसलिए दूरी को पाटना जरूरी है.' उन्होंने दोनों देशों के बीच संबंधों में उतार चढ़ाव का असर दक्षेस संगठन पर पड़ने का उल्लेख करते हुए कहा, 'उस तरीके से दक्षेस आगे नहीं बढ़ रहा है जैसे दूसरे संगठन बढ़ रहे हैं.'
'भरोसा करने से ही बातचीत शुरू होगी'
पाकिस्तान के साथ पिछले दिनों कई स्तर पर हुई बातचीत के संदर्भ में उन्होंने कहा, 'यह कूटनीति का हिस्सा है, लेकिन कुछ भी गुपचुप नहीं हुआ है.' उन्होंने पाकिस्तान के साथ मधुर संबंधों को दोनों देशों के हित में बताते हुए कहा कि वार्ता को निर्बाध रखने के लिए जरूरी है कि माहौल खराब करने वालों के बहकावे में नहीं आया जाए. उन्होंने कहा, 'वार्ता से ही रास्ता निकलेगा. भरोसा करके ही बातचीत शुरू होगी.'
विदेश मंत्री ने बयान के बाद सदस्यों द्वारा किए गए सवालों के जवाब में बताया कि उनकी पाकिस्तान यात्रा के दौरान धार्मिक पर्यटन को भी कारोबार, ट्रांजिट, तुलबुल परियोजना, सियाचिन और सरक्रीक के साथ वार्ता के महत्वपूर्ण स्तंभों में शामिल किया गया है. उन्होंने बताया कि आतंकवाद पर वार्ता के स्तर को भी बढ़ाने का फैसला किया गया है और अब इस मुद्दे पर वार्ता राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर पर ही होगी.
'पेरिस में ही बातचीत पर हुई थी चर्चा'
सुषमा ने अपने बयान में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ के बीच पेरिस पर्यावरण सम्मेलन के दौरान यह चर्चा हुई थी कि दोनों देशों के बीच दोबारा किस तरह बातचीत का माहौल बनाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ एक नए शीर्षक समग्र द्विपक्षीय वार्ता के तहत बातचीत शुरू करने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के विदेश सचिवों को इस नई वार्ता की रूपरेखा और सारणी तय करने का काम सौंपा गया है.
शांति और प्रगतिशील क्षेत्र के रूप विकास
बातचीत का सिलसिला शुरू करने पर उन्होंने कहा, 'इसके पीछे यह भावना थी कि हम दोनों पड़ोसी देशों के बीच लगातार दूरी हमारे क्षेत्र में शांति स्थापित करने और इसे एक प्रगतिशील क्षेत्र के रूप में विकसित करने के हमारे साझा सपने के मार्ग में अड़चन है.' सुषमा ने कहा कि इसके साथ ही यह भी बिल्कुल स्पष्ट था कि हमारे बीच संबंधों को विकसित करने के मार्ग में मुख्य बाधाओं, विशेषकर आतंकवाद से, प्रत्यक्ष एवं स्पष्ट रूप से निपटने की आवश्यकता है.
सुषमा ने कहा कि 30 नवंबर को मोदी-शरीफ बैठक के परिणामस्वरूप छह दिसंबर को बैंकॉक में दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच बातचीत हुई, जो स्पष्ट, सौहाद्रपूर्ण और रचनात्मक माहौल में हुई. यह चर्चा सुरक्षा, आतंकवाद, नियंत्रण रेखा पर अमन-चैन और जम्मू कश्मीर पर केंद्रित थी. जम्मू-कश्मीर राज्य आतंकवाद और नियंत्रण रेखा के उल्लंघन से सबसे ज्यादा प्रभावित रहा है.
विदेश मंत्री ने कहा कि शरीफ और उनके पाकिस्तानी समकक्ष सरताज अजीज के साथ उनकी बैठकें इसी सकारात्मक प्रगति की पृष्ठभूमि में आयोजित की गईं. दोनों पक्षों ने आतंकवाद की भर्त्सना की और इसे खत्म करने के लिए आपसी सहयोग करने का संकल्प लिया.
मुंबई हमले की न्यायिक कार्रवाई में तेजी
सुषमा ने आगे कहा, 'हमने मुंबई आतंकी हमले से संबंधित न्यायिक कार्रवाई में पाकिस्तान द्वारा तेजी लाने की आवश्यकता पर बल दिया. पाकिस्तान द्वारा भारतीय पक्ष को इसे शीघ्र अंजाम तक पहुंचाने के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में आश्वस्त किया गया. मैं सदन को आश्वस्त करना चाहूंगी कि यह सरकार देश की सुरक्षा को सर्वाच्च प्राथमिकता देती है. इस संबंध में किसी भी प्रकार के खतरे से निपटने के लिए सरकार कूटनीतिक प्रयोगों सहित वो सभी कदम उठाएगी जो आवश्यक हों.'
सवालों के भी दिए जवाब
लोकसभा में आमतौर पर मंत्री के जवाब के बाद स्पष्टीकरण का नियम नहीं है, लेकिन सुषमा ने कहा कि यदि आसन अनुमति दे तो वह सदस्यों के सवालों के जवाब देने को तैयार हैं. आसन की अनुमति से तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय, सीपीएम के मोहम्मद सलीम, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की महबूबा मुफ्ती, बीजेडी के भृतुहरि मेहताब, तेलुगू देशम पार्टी के जयदेव गल्ला और ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तहादुल मुसलमीन के असादुद्दीन औवेसी ने विदेश मंत्री की पाकिस्तान यात्रा को लेकर विभिन्न सवाल किए.