विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने हिंसा प्रभावित लीबिया से अपने नागरिकों की वापसी सुगम बनाने के लिए मंगलवार को अतिरिक्त कर्मियों की तैनाती का निर्देश दिया. सरकार ने एक दिन पहले ही अपने नागरिकों को लीबिया को छोड़ने और वहां की यात्रा नहीं करने का परामर्श जारी किया था.
सुषमा ने लीबिया में भारतीय नागरिकों पर प्रभाव डालने वाली सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की जहां हिंसा में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि ट्यूनीसिया स्थित भारतीय दूतावास में अतिरिक्त कर्मियों की तैनाती की जाए ताकि उन भारतीयों की मदद की जा सके जो भारत आने के लिए लीबिया से वहां पर सड़क मार्ग से पहुंचते हैं.
यह समीक्षा त्रिपोली स्थित भारतीय दूतावास द्वारा वह परामर्श जारी किये जाने के बाद की गई जिसमें भारतीय नागरिकों से लीबिया के संघर्ष वाले क्षेत्रों में बचने तथा लीबिया से निकलने के लिए सभी उपलब्ध साधनों का इस्तेमाल करने के लिए कहा गया था.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि त्रिपोली स्थित भारतीय दूतावास 62 समन्वयकों की मदद से 4500 भारतीय नागरिकों के सम्पर्क में है ताकि उनकी देशवापसी में मदद की जा सके. इन नागरिकों में करीब 750 नर्सें भी शामिल हैं. प्रवक्ता ने बताया कि कई भारतीय नागरिकों ने लीबिया से ट्यूनीशिया तक का सड़क मार्ग इस्तेमाल करके भारत वापसी शुरू कर दी है. उन्होंने बताया कि दूतावास भारतीय नागरिकों की वापसी में मदद कर रहा है और वह वापसी के इच्छुक भारतीय नागरिकों के लिए बाहर निकलने की अनुमति प्राप्त करने के लिए लीबिया अधिकारियों के साथ काम कर रहा है.
उन्होंने कहा, 'गरीब भारतीयों के मामले में भारतीय समुदाय कल्याण कोष से धनराशि का इस्तेमाल करके लीबिया से भारत वापसी में उनकी सहायता की जाएगी.' सोमवार को जारी परामर्श में त्रिपोली स्थित भारतीय दूतावास ने कहा था, 'लीबिया की वर्तमान स्थिति के मद्देनजर सभी भारतीयों को संघर्ष वाले क्षेत्रों से बचकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने का परामर्श दिया जाता है. उन्हें यह भी परामर्श दिया जाता है कि वे लीबिया से निकलने के लिए सभी उपलब्ध तरीकों का इस्तेमाल करें. स्थिति में सुधार होने तक भारत से लीबिया की सभी यात्राएं स्थगित कर दी जानी चाहिए.' लीबिया में विद्रोह से पहले वहां पर कार्यरत भारतीयों की संख्या 18000 होने का अनुमान लगाया गया था.