डेटा लीक पर इन दिनों देश में जमकर हंगामा मचा हुआ है. केंद्र में सत्तारुढ़ बीजेपी और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप जारी है. इस बीच कांग्रेस की सोशल मीडिया के जरिए सरकार को घेरने की कोशिश फिर नाकाम हो गई. इराकी शहर मोसुल में मारे गए 39 भारतीयों की मौत की सूचना देरी से देने के मामले में कांग्रेस ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की सबसे बड़ी नाकामी बताई तो उसे सोशल मीडिया में शर्मसार होना पड़ गया.
कांग्रेस ने इसी मुद्दे पर सरकार को घेरने के इरादे से 26 मार्च को ट्विटर पर एक सवाल के जरिए लोगों से राय मांगी. कांग्रेस की ओर से पोस्ट किया गया सवाल था, 'क्या आप मानते हैं कि मोसुल में 39 भारतीयों की मौत बतौर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की सबसे बड़ी नाकामी है?'
कांग्रेस को इस सवाल से उम्मीद थी कि यह जनमत उसके पक्ष में आएगा, लेकिन हुआ उलटा. इस सर्वे में 33,879 लोग शामिल हुए जिसमें 76 फीसदी लोगों ने इसे बतौर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की सबसे बड़ी नाकामी मानने से इनकार कर दिया जबकि 24 फीसदी लोगों ने ही इसे उनकी असफलता माना.
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस जनमत को अपने पक्ष में जाता देख इसे रिट्वीट कर दिया. उनके इस रिट्वीट को अब तक 4 हजार से ज्यादा लोगों ने रिट्वीट कर दिया है. जबकि करीब 5 हजार लोगों ने इसे लाइक भी कर डाला.
पिछले हफ्ते विदेश मंत्री सुषमा ने संसद में मोसुल में 39 मजदूरों की मौत की जानकारी दी थी. उस दौरान उन्होंने कहा था कि इन लोगों की मौत 6 महीने पहले और 2 साल के बीच में हुई थी. 4 साल पहले अगवा हुए 39 भारतीय के शवों की शिनाख्त इराक में डीएनए के आधार पर की गई है.Do you think the death of 39 Indians in Iraq is Sushma Swaraj’s biggest failure as Foreign Minister? #IndiaSpeaks
— Congress (@INCIndia) March 26, 2018
सुषमा के बयान के बाद इराकी फोरेंसिक मेडिसिन विभाग ने इन भारतीयों के शवों का डीएनए टेस्ट कराया. इन शवों को मार्टर्स फाउंडेशन ने मोसुल के निकट बादुश में एक पहाड़ी से खोद कर निकाला. विभाग के प्रमुख डॉक्टर जैद अली अब्बास ने बताया कि मारे गए ज्यादातर लोगों की मौत सिर में गोली मारे जाने से हुई थी. इन शवों के सिर्फ कंकाल (हड्डी) ही बचे हैं. इसमें किसी भी तरह मांसपेशी या टिशू नहीं बचे हैं.
सुषमा के इस खुलासे के बाद कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस खुलासे में देरी को लेकर जमकर हंगामा किया गया. इन दलों के हंगामे के कारण वह लोकसभा में यह बात नहीं रख सकीं. इसमें देरी के लिए सरकार की जमकर आलोचना की थी.