लाल कृष्ण आडवाणी के इस्तीफे के बाद बीजेपी में मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं. सोमवार को मान-मनौव्वल के लंबे दौर के बाद भी आडवाणी नहीं माने. अब पार्टी में विरोध के स्वर तेज हो रहे हैं. इसकी शुरुआत आडवाणी खेमे के नेताओं ने की है. बीजेपी में बगावत की पहली झलक सोमवार देर रात पार्टी के संसदीय बोर्ड की बैठक में देखने को मिली.
सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में सुषमा स्वराज, अनंत कुमार और वेंकैया नायडू ने आडवाणी की गैरमौजूदगी में मोदी की ताजपोशी पर नाराजगी जताई. इन नेताओं का कहना था कि मोदी की ताजपोशी को लेकर पार्टी को इस तरह की हड़बड़ी दिखाने की जरूरत नहीं थी.
सूत्रों की मानें तो बैठक में सुषमा, अनंत कुमार और वेंकैया नायडू ने अन्य नेताओं को आड़े हाथों लिया. उनका कहना था कि मोदी की ताजपोशी की वजह से आज पार्टी इस विवाद में पड़ी है. मोदी को लेकर किए गए निर्णय में बेवजह हड़बड़ी दिखाई गई.
गौर करने वाली बात है कि गोवा में 8-9 जून को बीजेपी कार्यकारिणी की बैठक के दौरान भी इन नेताओं ने ही आडवाणी की अनुपस्थिति में मोदी को कमान देने पर सवाल उठाए थे. इन नेताओं का कहना था कि आडवाणी की मौजूदगी में ही मोदी को चुनाव प्रचार समिति का चेयरमैन बनाया जाए तो बेहतर होगा.
विरोध के स्वर मंगलवार को भी सुनाए दिए. आडवाणी समर्थक माने जाने वाले जसवंत सिंह ने कहा कि आडवाणी ने जो बातें कही वो सही हैं और इन सवालों का समाधान होना चाहिए.
सवाल यह है कि आडवाणी किस कारण से नाराज हैं? मोदी की ताजपोशी, या फिर बीजेपी के काम-काज में आरएसएस की दखल से. या फिर दोनों. सूत्रों की मानें तो आडवाणी की नाराजगी का मुख्य कारण तो आरएसएस का रवैया है और आग में घी डालने का काम मोदी की ताजपोशी ने किया.
इस बीच, आडवाणी को मनाने की कवायद लगातार दूसरे दिन भी जारी है. मंगलवार को नितिन गडकरी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और गोपीनाथ मुंडे ने आडवाणी से मुलाकात की. वहीं, बीजेपी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने उम्मीद जताई कि पार्टी इस मसले पर समाधान निकाल लेगी और जल्द ही खुशखबरी मिलेगी.
आडवाणी को मनाने की कोशिशों के बीच पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह राजस्थान के बांसवाड़ा में महाराणा प्रताप की प्रतिमा का अनावरण करने के लिए चले गए हैं. रवाना होने से पहले उन्होंने आडवाणी मामले में आरएसएस से जुड़ी आ रही खबरों को बेबुनियाद बताया. हालांकि वे आडवाणी को मनाने पर कुछ नहीं बोले.
गौरतलब है कि सोमवार रात को ऐसी खबरें आईं कि आरएसएस ने पार्टी को निर्देश दिया है कि आडवाणी को मनाने की हर कोशिश की जाए पर मोदी पर लिया फैसला वापस नहीं होगा.
बीजेपी की परेशानी यहीं खत्म नहीं हो रही है. विपक्षी भी इस पूरे विवाद पर चुटकी लेने का मौका नहीं चूक रहे. विरोधियों ने तो आडवाणी के इस्तीफे की चिट्ठी को दिल्ली के वीवीआईपी माने जाने वाले लुटियंस जोन में रातोंरात पोस्टर की शक्ल में चिपका दिया. हालांकि ये हरकत किसने की है अभी इसका पता नहीं चल सका है. इस पोस्टर के ऊपर लिखा गया है, 'देखिए भा.ज.पा. का पर्दाफाश'. पोस्टरों में इसके बाद आडवाणी की चिट्ठी की वही पंक्तियां छापी गई हैं जिसमें उन्होंने बीजेपी के नेताओं पर निजी हितों के लिए काम करने का आरोप लगाया है.