देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमात-ए-इस्लामी हिंद ने आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन को एक मस्जिद की दीवार ढहाए जाने से जोड़ने पर अफसोस जताते हुए कहा है कि उत्तर प्रदेश की सरकार को अपने फैसले का बचाव करने के लिए मुसलमानों को ढाल नहीं बनाना चाहिए.
जमात के सचिव इंजीनियर सलीम ने कहा, ‘हमें ऐसा लगता है कि उत्तर प्रदेश की हुकूमत अपने इस फैसले का बचाव करने के लिए मस्जिद और मुसलमानों को ढाल बना रही है, ऐसा नहीं होना चाहिए.’ उन्होंने कहा, ‘आईएएस अधिकारी के निलंबन के फैसले का मुस्लिम समुदाय की ओर से किसी ने भी समर्थन नहीं किया है. यह अफसोस की बात है कि निलंबन का ठीकरा मुसलमानों पर फोड़ा जा रहा है. इस मामले पर पूरी तरह से सियासत हो रही है.’
सलीम ने कहा, ‘हम अखिलेश सरकार से सवाल करना चाहते हैं कि उनके शासनकाल में दर्जनों दंगे हुए तो उन्होंने कितने अधिकारियों को निलंबित किया. गाजियाबाद के मसूरी में युवकों की हत्या और प्रतापगढ़ में लोगों के मकान जलाने के मामले में इस सरकार ने कार्रवाई करने में इतनी जल्दबाजी क्यों नहीं दिखाई.’
खनन माफिया के खिलाफ कार्रवाई को लेकर सुखिर्यों में आई दुर्गा को पिछले दिनों उत्तर प्रदेश प्रशासन ने एक इबादतगाह की दीवार गिराने के कथित आदेश देने के आरोप में निलंबित कर दिया था. राज्य सरकार की दलील है कि इससे सांप्रदायिक माहौल खराब हो सकता था.