पश्चिम बंगाल में मुख्य विपक्षी दल मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने शारदा चिट फंड घोटाला मामले में निलंबित तृणमूल कांग्रेस सांसद कुणाल घोष की गिरफ्तारी के समय पर सवाल खड़े किए हैं. माकपा ने दावा किया है कि घोटाले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का नाम लेने के ठीक बाद सांसद कुणाल घोष को गिरफ्तार कर लिया गया.
माकपा की कोर कमेटी के सदस्य मोहम्मद सलीम ने बताया, 'गिरफ्तारी का समय ही बहुत कुछ बता देता है. बनर्जी का नाम लिए जाने के बाद अगले दिन ही उन्हें (कुणाल) गिरफ्तार कर लिया गया. अब मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराया जाना बेहद जरूरी हो गया है.'
'मजाक बनकर रह गई जांच'
उन्होंने आगे बताया, 'तब तो विशेष जांच द्वारा इस घोटाले की अब तक की गई जांच एक मजाक बन गई है, क्योंकि अब तक इसका कोई नतीजा नहीं निकल सका है. कुणाल न सिर्फ शारदा मीडिया समूह का मुख्य कार्यकारी अधिकारी था बल्कि कुछ समय के लिए मुख्यमंत्री सचिवालय में भी अहम पद पर रह चुका है. इतने लंबे समय तक न तो बनर्जी और न ही जांच अधिकारियों ने उसकी (कुणाल) गतिविधियां जानने की कोशिश की. अब तक उससे सिर्फ एक बार पूछताछ की गई.'
'ममता का नाम लेते ही गिरफ्तार हुए कुणाल'
सलीम ने आगे कहा, 'लेकिन जैसे ही उसने तृणमूल कांग्रेस के लिए बुरा भला कहना शुरू किया तो जांच अधिकारियों ने उस पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया. और जैसे ही उसने ममता बनर्जी का नाम लिया उसे गिरफ्तार कर लिया गया.'
'मेरी गिरफ्तारी एक साजिश'
वहीं अपनी गिरफ्तारी को 'साजिश' करार देते हुए कुणाल घोष ने कहा कि पुलिस को मामले में सच का पता लगाने के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी के दो नेताओं की मदद लेनी चाहिए. घोष ने ममता के अलावा 11 दूसरे लोगों से मदद लेने के लिए कहा. इनमें तृणमूल के महासचिव मुकुल रॉय, खेलमंत्री मदन मित्रा और पार्टी के सांसद सुवेन्दु अधिकारी के नाम शामिल हैं.
घोष फेसबुक पर डाली पोस्ट
घोष ने फेसबुक पर डाले गए अपने एक पोस्ट में कहा, ‘जांच में उन लोगों की मदद ली जानी चाहिए जो सेन (शारदा समूह के मालिक सुदीप्त सेन) को जानते हैं और जिन्होंने शारदा समूह से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष मदद ली थी या दूसरे तरह से कुछ बातें जानते हैं.’ उन्होंने साथ ही कहा कि वह किसी के ऊपर कोई आरोप नहीं लगा रहे.