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जयललिता से मिलने जा सकते हैं मोदी, आज आ सकता है एक और मेडिकल बुलेटिन

तमिलनाडु की सीएम जयललिता की सेहत को लेकर अटकलों का दौर जारी है. उनकी सेहत को लेकर स्पष्ट जानकारी नहीं होने की वजह से कई तरह की अफवाहें फैल रही हैं. पुलिस ने ऐसे कुछ मामलों में केस भी दर्ज किए हैं.

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अपोलो अस्पताल के बाहर मीडिया तैनात
अपोलो अस्पताल के बाहर मीडिया तैनात

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तमिलनाडु की सीएम जयललिता की सेहत को लेकर अटकलों का दौर जारी है. उनकी सेहत को लेकर स्पष्ट जानकारी नहीं होने की वजह से कई तरह की अफवाहें फैल रही हैं. पुलिस ने ऐसे कुछ मामलों में केस भी दर्ज किए हैं. जयललिता की सेहत पर नजर रख रहे ब्रिटिश एक्सपर्ट डॉ. रिचर्ड बेली गुरुवार को एक बार फिर अपोलो अस्पताल पहुंचने वाले हैं. बीते 6 अक्टूबर को भी डॉ. बेली ने जयललिता की सेहत पर अपनी राय दी थी. अपोलो अस्पताल की ओर से आज फिर मेडिकल बुलेटिन जारी किए जाने की उम्मीद है.

दिल्ली से कांग्रेस और बीजेपी के हाई प्रोफाइल नेताओं के चेन्नई दौरे हुए हैं. कांग्रेस चीफ सोनिया गांधी से तल्ख रिश्तों के बावजूद राहुल गांधी जयललिता का हालचाल जानने अपोलो अस्पताल गए. राहुल के दौरे के बाद बुधवार को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली भी अपोलो अस्पताल गए और सीएम की सेहत की जानकारी ली. गुरुवार शाम नीता अंबानी भी सीएम जयललिता का हाल-चाल लेने अपोलो अस्पताल पहुंचीं.

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राहुल के चेन्नई दौरे के बाद बीजेपी खेमे में यह बात उठी कि कहीं कांग्रेस और AIADMK के बीच करीबी तो नहीं बढ़ रही है. हालांकि, तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी भी उस वक्त अस्पताल में भर्ती एमजी रामचंद्रन को देखने अस्पताल गई थीं. इसी तरह, तत्कालीन पीएम राजीव गांधी भी एक बार जयललिता का हालचाल जानने अस्पताल पहुंचे थे.

अब शाह और जेटली के दौरे के बाद ऐसी अटकलें हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी भी 15 अक्टूबर को जयललिता का हालचाल जानने चेन्नई जाएंगे.

बताया कम, छुपाया ज्यादा
मुख्यमंत्री का इलाज शुरू होने के बाद पिछले तीन सप्ताह में अपोलो अस्पताल की बुलेटिन में बताने से ज्यादा चीजें छुपाई गई हैं. अस्पताल की ओर से 08 अक्तूबर को जारी बुलेटिन में कहा गया था, ‘डॉक्टरों की एक टीम मुख्यमंत्री की सेहत पर लगातार निगाह रख रही है. उनके फेफड़ों का इलाज चल रहा है. उन्हें पोषण देने के साथ सहायक चिकित्सा भी दी जा रही है.’ इस बुलेटिन में सिर्फ मुख्यमंत्री को दिए जा रहे इलाज के बारे में बताया गया, लेकिन उनके सेहत की स्थिति को लेकर कोई जानकारी नहीं दी गई.

इससे पहले 22 सितंबर को अस्पताल में भर्ती किए जाने के दूसरे दिन जारी बुलेटिन में कहा गया था कि मुख्यमंत्री को अब बुखार नहीं है और वह सामान्य रूप से भोजन ले रही हैं. वहीं, 10 अक्तूबर को जारी आखिरी बुलेटिन में बताया कि उन्हें सांस लेने के लिए जरूरी सहारा दिया जा रहा है. ऐसे में स्पष्ट और आधिकारिक सूचना के अभाव ने विरोधियों को अफवाह उड़ाने का मौका दे दिया है. डीएमके अध्यक्ष एम करुणानिधि ने सवाल भी उठाया कि आखिर क्या वजह है जो किसी नेता को जयललिता से मिलने नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने अफवाहों पर विराम लगाने के लिए जयललिता की तस्वीर दिखाने की मांग भी कर डाली है.

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दोहराया गया तीन दशक पुराना इतिहास
बीते मंगलवार को जब तमिलनाडु के गवर्नर ने जयललिता के पोर्टफोलियो वित्त मंत्री पनीरसेल्वम को आवंटित किए और कैबिनेट की मीटिंग लेने की शक्ति दी तो सूबे में इतिहास दोहराया गया. तीन दशक पहले इस तरह की व्यवस्था तब हुई थी जब तत्कालीन सीएम एमजी रामचंद्रन को इलाज के लिए अमेरिका ले जाना पड़ा था.

जयललिता के राजनीतिक गुरु रहे एमजी रामचंद्रन को 1984 में दिल का दौरा पड़ा था और उन्हें इलाज के लिए अमेरिका ले जाना पड़ा तो उनके विभाग सीनियर कैबिनेट मंत्रियों नेदुचेजियन और पीएस रामचंद्रन को आवंटित कर दिए गए थे.

हालांकि छह महीने के बाद एमजीआर ने वापस सीएम का चार्ज ले लिया था. 1988 में उनके निधन के बाद ADMK में सत्ता संघर्ष और पार्टी में फूट हुई. इस वजह से 1989 में पार्टी की जबरदस्त हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद जयललिता के धड़े ने एकजुट होकर अपनी ताकत बढ़ाई और कांग्रेस से गठजोड़ कर सरकार चला रही डीएमके सरकार के बर्खास्त होने के बाद 1991 में सत्ता में आई.

इस वक्त AIADMK की कमान पूरी तरह जयललिता के हाथ में है और 235 सदस्यों वाली विधानसभा में पार्टी की 134 सीटें भी हैं. ऐसे में दिल्ली के सियासी गलियारे में इस बात को लेकर हलचल तेज हो गई है कि अगर जयललिता को ज्यादा दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा तो पार्टी की कमान किसे सौंपी जाएगी. क्या एआईएडीएमके में एकता बरकरार रह पाएगी?

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