राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि स्वदेशी का मतलब हर विदेशी सामान का बहिष्कार नहीं है. केवल उन्हीं प्रौद्योगिकियों या सामग्रियों का आयात किया जा सकता है, जिनका देश में पारंपरिक रूप से अभाव है या जो स्थानीय रूप से उपलब्ध नहीं हैं.
भागवत ने वर्चुअल बुक लॉन्च इवेंट में कहा कि स्वतंत्रता के बाद जैसी आर्थिक नीति बननी चाहिए थी, वैसी नहीं बनी. आजादी के बाद ऐसा माना ही नहीं गया कि हम लोग कुछ कर सकते हैं. अच्छा हुआ कि अब शुरू हो गया है.
मोहन भागवत ने कहा कि आजादी के बाद अपने लोगों के ज्ञान और क्षमता की ओर नहीं देखा गया. हमें अपने देश में उपलब्ध अनुभव आधारित ज्ञान को बढ़ावा देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि हमें इस बात पर निर्भर नहीं होना चाहिए कि हमारे पास विदेश से क्या आता है. यदि हम ऐसा करते हैं तो हमें अपनी शर्तों पर करना चाहिए.
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उन्होंने कहा कि विदेशों में जो कुछ है, उसका बहिष्कार नहीं करना है लेकिन अपनी शर्तो पर लेना है. भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हाल ही में लाई गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को सही कदम बताते हुए कहा कि इस तरह की नीतियों से भारत को अपने लोगों की क्षमता और पारंपरिक ज्ञान का एहसास होगा.