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2G लाइसेंस पाने योग्‍य नहीं थी स्‍वान टेलिकाम: नीरा राडिया

कंपनियों के लिए लॉबिंग का काम करने वाली नीरा राडिया 2जी मामले में दिल्ली की विशेष अदालत में मंगलवार को अभियोजन पक्ष के गवाह के तौर पर पेश हुई.

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nira radia
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कंपनियों के लिए लॉबिंग का काम करने वाली नीरा राडिया 2जी मामले में दिल्ली की विशेष अदालत में मंगलवार को अभियोजन पक्ष के गवाह के तौर पर पेश हुई. उन्होंने कोर्ट में पहली बार पेश होकर कहा कि उन्हें लगता है कि स्वान टेलीकाम प्राइवेट लिमिटेड 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस पाने की पात्र नहीं थी, क्योंकि यह कंपनी कथित तौर पर रिलायंस एडीएजी समूह की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस से जुड़ी थी.

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राडिया ने अपनी गवाही के दौरान कहा कि 2008 में 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन के समय एक मजबूत आम धारणा थी कि स्वान टेलीकाम प्राइवेट लिमिटेड (एसटीपीएल) स्पेक्ट्रम आवंटन की पात्रता नहीं रखती. एसटीपीएल के प्रमोटर शाहिद उस्मान बलवा और विनोद गोयंका पर इस मामले में अभियुक्त है और उन पर इसी अदालत में मुकदमा चल रहा है.

राडिया ने विशेष सीबीआई कोर्ट के जज ओ. पी. सैनी से कहा, ‘स्पेक्ट्रम आवंटन के समय मीडिया ने पात्रता और अपात्रता के बारे में आम लोगों के मन में एक दृढ़ भावना पैदा कर दी थी. आम धारणा और टाटा समूह के वकीलों की सलाह के जरिए मुझे पता चला कि यह कंपनी (स्वान टेलीकाम) पात्र नहीं है.’

गवाहों के बयान दर्ज किए जाने की प्रक्रिया के दौरान उन्होंने सीबीआई के वकील के पूछने पर अदालत में कहा कि लाइसेंस आवंटन के समय ऐसी सूचनाएं फैली हुई थीं कि स्वान टेलीकॉम प्राइवेट लिमिटेड, रिलायंस कम्युनिकेशंस से जुड़ी है. उन्होंने कहा, ‘हालांकि इसके बारे में मेरे पास कोई पुख्ता या व्यक्तिगत जानकारी नहीं थी.’ राडिया ने कहा कि उनकी पीआर कंपनी टाटा ग्रुप को टेलिकॉम मामले में सलाह देती थी और टाटा टेलीसर्विसेज लिमिटेड (टीटीएसएल) ने 2007 में दोहरी टेक्‍नोलॉजी लाइसेंस के लिए आवेदन किया था.

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राडिया ने अदालत से कहा कि टीटीएसएल को 2008 में दोहरी टेक्‍नोलॉजी के लिए लाइसेंस प्रदान किया गया था, लेकिन उसे स्पेक्ट्रम नहीं मिला.
राडिया ने कहा, ‘TTSL को सलाह दी गई थी कि वे कतार में हैं और उपलब्ध होने पर उन्हें स्पेक्ट्रम दिया जाएगा. मैं टाटा ग्रुप के टेलिकॉम मामले में समन्वय का काम कर रही थी पर मैं इस काम को अकेले नहीं कर रही थी. टीटीएसएल ने दोहरी टेक्‍नोलॉजी के लिए दिल्ली सेवा क्षेत्र में भी आवेदन किया था.’

इस मामले में सीबीआई के वकील ने राडिया से कहा, ‘क्या आप अदालत को बता सकती हैं कि दिल्ली सेवा क्षेत्र में दोहरी टेक्‍नोलॉजी वाले स्पेक्ट्रम प्राप्त करने के मामले में टीटीएसएल कतार में कौन से नंबर पर थी.’ इस सवाल के जवाब में राडिया ने कहा, ‘मुझे यह नहीं पता कि दिल्ली सेवा क्षेत्र में दोहरी टेक्‍नोलॉजी के स्पेक्ट्रम प्राप्त करने के मामले में वह किस नंबर पर थी. हालांकि टाटा ग्रुप और टेलिकॉम डिपार्टमेंट के बीच पर्याप्त पत्राचार हुआ था, जिसमें कहा गया था कि दोहरी प्रौद्योगकी के लाइसेंस हासिल होने के कारण कंपनी कतार में आगे है. कंपनी उस वक्त सीडीएमए सेवा का परिचालन पहले से कर रही थी.’

सीबीआई के प्रवक्ता ने राडिया से यह बताने के लिए कहा कि अन्य आवेदकों से आगे होने के बावजूद टीटीएसएल को दिल्ली सेवा क्षेत्र में 2जी स्पेक्ट्रम क्यों नहीं मिला. उन्होंने कहा, ‘टीटीएसएल को पहले स्पेक्ट्रम नहीं मिला क्योंकि दूरसंचार विभाग ने कहा कि वह अन्य कंपनियों से आगे नहीं थी. टीटीएसएल को यह बात दूरसंचार विभाग ने मौखिक तौर पर बताई थी. स्वान टेलकाम को दिल्ली सेवा क्षेत्र में स्पेक्ट्रम मिला. रिलायंस कम्यूनिकेशंस को भी स्पेक्ट्रम मिला था.’ राडिया ने कोर्ट से यह भी कहा कि टीटीएसएल ने स्वान टेलकाम और रिलायंस कम्यूनिकेशंस को स्पेक्ट्रम के आवंटन का विरोध किया था, लेकिन उसे सलाह दी गई कि कतार में बनी रहे और जब भी स्पेक्ट्रम उपलब्ध होगा उन्हें मिल जाएगा. कोर्ट ने अब उनके बयान को रिकार्ड करने की तारीख दो जुलाई तय की है.

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सीबीआई ने दो अप्रैल 2011 को टेलिकॉम मंत्री ए. राजा और अन्य के खिलाफ दायर आरोपपत्र में इस मामले में राडिया का नाम अभियोजन पक्ष के गवाह तौर पर दर्ज किया था. राडिया से दो दिसंबर को सीबीआई के गवाह के तौर पर पेश होने के लिए कहा गया था और वह तीन महीने बाद अदालत में पेश हुईं. उन्होंने स्नायविक बीमारी की वजह से हुए ऑपरेशन के आधार पर तीन महीने का वक्त मांगा था.

राडिया का बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि उन्होंने सीबीआई के सामने आपराधिक दंड संहित की धारा 161 के तहत जांच के दौरान रिकॉर्ड कराए गए अपने बयान में कहा था कि स्वान टेलीकाम प्राइवेट लिमिटेड जिस पर अभी मुकदमा चल रहा है, वह एकीकृत सेवा का लाइसेंस प्राप्त करने की पात्र नहीं थी.

राडिया ने कहा, ‘स्वान टेलीकाम, जो दिल्ली सर्कल में स्पेक्ट्रम के लिए इकलौती आवेदक थी, के बारे मैं कहना चाहूंगी कि सभी तरह के प्रावधानों के मुताबिक आवेदक के तौर पर स्वान टेलीकाम एकीकृत सेवा (यूएएस) लाइसेंस प्राप्त करने की पात्र नहीं थी.’ उन्होंने 21 दिसंबर 2010 को रिकॉर्ड बयान में सीबीआई से कहा था, ‘जहां तब मेरी समझ है इसका पूरा नियंत्रण रिलायंस कम्यूनिकेशंस के पास था.’ सीबीआई ने अपने आरोपपत्र में आरोप लगाया था कि इस मामले में आरोपी रिलायंस टेलीकाम लिमिटेड ने लाइसेंस और मंहगे स्पेक्ट्रम प्राप्त करने के लिए अपात्र कंपनी स्वान टेलकाम का उपयोग अपनी मुखौटा कंपनी की तरह किया था.

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स्वान टेलीकाम और इसके प्रमोटर शाहिद उस्मान बलवा और विनोद गोयंका, आरटीएल और रिलायंस एडीएजी के तीन शीर्ष कार्यकारी - गौतम दोषी, सुरेंद्र पिपारा और हरि नायर पर अन्य आरोपियों के साथ इस मामले में मुकदमा चल रहा है. इस मामले की जांच के दौरान राडिया ने सीबीआई से कहा था कि उन्होंने 2009 आम चुनाव के बाद द्रमुक सांसद कनीमोई से बात की थी जो 2जी मामले में आरोपी भी हैं. सीबीआई द्वारा 29 जनवरी 2011 को दर्ज बयान में राडिया ने इस आरोप को खारिज किया था कि उन्होंने मंत्रिमंडल में राजा को टेलिकॉम मिनिस्‍ट्री दिलाने के लिए कनिमोई से संपर्क किया था.

राडिया ने कहा था, ‘कनिमोई से दिल्ली में हुई चर्चा के दौरान हमने मंत्रिमंडल में द्रमुक के संभावित उम्मीदवारों पर चर्चा की. जहां तक मुझे याद है ए. राजा की रुचि टेलिकाम मिनिस्‍ट्री में नहीं थी.’ उन्होंने सीबीआई को बताया था, ‘न मैंने ए. राजा को टेलिकाम मिनिस्‍ट्री दिलाने के लिए कनिमोई से संपर्क किया था न ही मैं इतने बड़े जिम्मे के लायक थी.’ उन्होंने सीबीआई से कहा था कि पूर्व टेलिकाम मिनिस्‍टर दयानिधि मारन ने टाटा ग्रुप के लिए बड़ी दिक्कतें पैदा की थीं, इसलिए वह उनके विभाग के बारे में चिंतित थीं. क्योंकि टाटा ग्रुप उनकी पीआर कंपनी वैष्णवी कार्पोरेट कम्यूनिकेशंस प्राइवेट लिमिटेड की ग्राहक थी.

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