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देशभर में स्वाइन फ्लू से 663 की मौत, केंद्र कर रहा राज्यों की मदद की गुहार का इंतजार!

स्वाइन फ्लू ने देखते ही देखते करीब आधे देश पर मौत का पंजा फैला लिया है. देखते ही देखते इसलिए कि कागजी कार्रवाई और भरोसा रखिए जैसे बयानों के अलावा जमीनी स्तर पर इसे रोकने के लिए कोई भी सरकार पुख्ता कदम उठाती नहीं दिख रही है. मौत का कारवां 663 लोगों तक पहुंच चुका है और 10 हजार से ज्यादा लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं.

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स्वाइन फ्लू ने देखते ही देखते करीब आधे देश पर मौत का पंजा फैला लिया है. देखते ही देखते इसलिए कि कागजी कार्रवाई और 'भरोसा रखिए' जैसे बयानों के अलावा जमीनी स्तर पर इसे रोकने के लिए कोई भी सरकार पुख्ता कदम उठाती नहीं दिख रही है. खासकर तब, जब स्वास्थ्य मंत्रालय यह कहे कि उससे किसी भी राज्य ने अभी तक कोई मदद नहीं मांगी. यह सब ऐसे समय है, जब मौत का कारवां 663 लोगों तक पहुंच चुका है और 10 हजार से ज्यादा लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं.

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बात राजस्थान की हो या गुजरात की. मध्य प्रदेश की या जम्मू-कश्मीर से लेकर हिमाचल की. हर ओर अस्पतालों में अफरा-तफरी है तो दवा की दुकानों पर लंबी कतार. लेकिन इससे भी बड़ा दुर्भाग्य यह कि कभी अमेरिका को अपनी मेहमान नवाजी से रिझाने वाले इस देश में अपनों के लिए जरूरी स्वास्थ्य सुविधा ही नहीं है. हालांकि, अब जब इस बीमारी ने विकराल रूप धारण कर लिया है तो केंद्र सरकार की भी नींद खुली है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने बुधवार को कहा कि देश में टेमीफ्लू की दवा की कमी नहीं है.

ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देशभर में स्वाइन फ्लू के कारण जान गंवाने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 663 हो गई है, जबकि इससे प्रभावित लोगों की संख्या 10 हजार को पार कर गई है. इस बीच इस रोग ने नगालैंड जैसे राज्यों तक में अपने पांव पसार दिए हैं. आंकड़ों से संकेत मिल रहे हैं कि इस वायरस से प्रभावित लोगों की संख्या में कोई कमी नहीं आ रही है, क्योंकि 16-17 फरवरी के बीच 39 और लोगों की जान गई है.

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सरकार की 'बीमार वाणी'
दूसरी ओर, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने कहा है कि दवाओं की कोई किल्लत नहीं है और अस्पताल स्वाइन फ्लू से निपटने में सक्षम हैं. लेकिन मंत्रालय ने अपने बयान में आगे जो कहा वह चौंकाने वाला है. मंत्रालय ने कहा कि राज्यों की तरफ से दवा, परीक्षण किट्स या अन्य आवश्यक समान को लेकर कोई मांग नहीं आई है. यानी अगर ऐसा है तो राज्य सरकारें इस बाबत कितनी संजीदा हैं, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. केंद्र सरकार के मुताबिक, इस साल अभी तक एच1एन1 वायरस से 10025 लोग प्रभावित हुए हैं.

मदद भूल, आंकड़ों में उलझी सरकार
केंद्र और राज्यों से आ रहे आंकड़ों में भी कुछ विसंगतियां सामने आ रही हैं. मसलन, केंद्र सरकार के आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल जम्मू-कश्मीर में इस वायरस से प्रभावित होने वाले लोगों की संख्या महज तीन है, जबकि राज्य के एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि कम से एक एक व्यक्ति की जान गई है और 70 लोगों में इस रोग की पुष्टि हुई है.

श्रीनगर में शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइसेंज के निदेशक शौकत जरगर ने बताया, 'अभी तक एच1एन1 वायरस से पीड़ित दो रोगियों की जान जा चुकी है और 71 अन्य रोगियों में इस वायरस की पुष्टि हुई है.' उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति की मौत की पुष्टि इसी वायरस के कारण हुई है, जबकि एक अन्य महिला रोगी को हृदय संबंधी गंभीर रोग भी था और उसकी इन रोगों के कारण मृत्यु हुई. नगालैंड में भी पहले ऐसे मामले की पुष्टि हुई. वहां एक महिला में यह वायरस पाया गया है.

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सबसे बदतर राजस्थान और गुजरात
स्वाइन फ्लू के कारण बुरी तरह प्रभावित राज्यों में राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश शामिल हैं, जहां इस रोग से क्रम से 183, 155 और 90 लोगों की जान जा चुकी है. यह तीनों राज्य बीजेपी शासित है. बीजेपी यानी केंद्र की सत्ता और मोदी सरकार. पंजाब में अभी तक इस बीमारी से 24, जबकि पड़ोसी राज्य हरियाणा में 17 जानें जा चुकी हैं. यूपी में छह लोगों की जान गई है, जबकि पाजिटिव मामलों की संख्या बढ़कर 114 हो गई है. इस बीच अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने कहा कि विश्वविद्यालय से जुड़े लोगों में आठ मामलों की पुष्टि हुई है. इससे परिसर में 25 फरवरी तक सभी कक्षाओं और शैक्षणिक गतिविधियों को निलंबित करना उचित साबित हुआ.

अभी अध्ययन करवाना चाहती है सरकार
स्वास्थ्य मंत्रालय ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान चिकित्सा संस्थान (एम्स) में एक नई परीक्षण सुविधा शुरू की है. साथ ही राष्ट्रीय चिकित्सा नियंत्रण केंद्र में 24 घंटे निगरानी प्रकोष्ठ चल रहा है. मंत्रालय ने अपने बयान में बुधवार को कहा, 'स्वास्थ्य मंत्रालय के विशेषज्ञ दलों ने तेलंगाना, गुजरात और राजस्थान राज्यों का दौरा किया है और उन्हें तकनीकी सहायता दी है. ऐसे दो दलों को आज मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र रवाना किया गया.' स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि ऐसी मौतों के बारे में अध्ययन करवाया जाए, जिसमें इस पर गौर किया जाए कि किस आयु वर्ग, किन क्षेत्रों और किन परिस्थितियों में ऐसी मौतें हुई.

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दिल्ली की भी नींद खुली
इस बीच, दिल्ली सरकार ने सभी निजी प्रयोगशालाओं को निर्देश दिया कि वे इस वायरल रोग के परीक्षण करने के लिए 4500 रुपये से अधिक का प्रभार न वसूल करें. सरकार का यह कदम विभिन्न रोगियों की इन शिकायतों के बाद उठाया गया कि शहर की निजी प्रयोगशालाओं में इन परीक्षणों के लिए मनमाना धन वसूल किया जा रहा है.

कोलकाता से मिली जानकारी के मुताबिक, पिछले एक दिन में राज्य में स्वाइन फ्लू के छह नए मामले सामने आए जिससे राज्य में ऐसे मामलों की संख्या बढ़कर 42 हो गई. पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक विश्वरंजन सत्पति ने कहा कि पिछले 24 घंटे में किसी की जान जाने की कोई खबर नहीं है. राज्य में इस साल जनवरी से इस रोग के कारण दो लोगों की जान जा चुकी है. श्रीनगर में जम्मू कश्मीर के एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि राज्य में दो व्यक्तिों की जान गई है, जबकि 70 लोगों में इस रोग की पुष्टि हुई है.

-इनपुट भाषा से

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