स्वाइन फ्लू की दवा की क्या वाकई कमी हो गई है या फिर यह स्थिति उन लोगों की बनाई हुई है, जो लोग संक्रमण के खौफ से बेवजह इसे स्टॉक करके रखना चाह रहे हैं? मामला तो कुछ ऐसा ही लग रहा है. लेकिन जो लोग ऐसा कर रहे हैं, उन्हें सावधान हो जाना चाहिए, क्योंकि टेमीफ्लू का बेवजह सेवन करने पर संक्रमण से उनका बचाव चाहे हो भी जाए. लेकिन भविष्य में यह दवाई उनके लिए परेशानी खड़ी कर सकती है.
टेमीफ्लू सबके लिए नहीं
स्वाइन फ्लू एक वायरल संक्रमण है. यह वायरस परिस्थिति के मुताबिक अपने में बदलता करता रहता है. यह वायरस टेमीफ्लू के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं कर सके, इसलिए इसका सेवन सिर्फ संक्रमण से प्रभावित लोगों को ही करना चाहिए. यही वजह है कि टेमीफ्लू को ओटीसी (ओवर दी काउंटर ड्रग यानी वह दवाई जिसे डॉक्टर के पर्चे के बगैर खरीदा जा सके) की तरह उपलब्ध नहीं करवाया गया है. आर्टेमिस अस्पताल में रेस्पिरेटरी मेडिसीन के विभागाध्यक्ष डॉ. हिमांशु गर्ग कहते हैं, 'अगर लोग हल्के फुल्के जुकाम में भी टेमीफ्लू खाने लगेंगे तो वायरस पर इसका असर होना बंद हो जाएगा. इसलिए सरकार ने इसकी बिक्री के जो नियम कायदे बनाए हैं वे जरूरी हैं.'
यूं ही नहीं मिलती टेमीफ्लू
विमहांस फार्मेसी के महेश राखेजा बताते हैं कि स्वाइन फ्लू की दवाई की कमी की बातों में कोई सचाई नहीं है. वह कहते हैं, 'दरअसल दवाई केवल उन्हीं लोगों को दी जाती है जो डॉक्टर के पर्चे के साथ स्वाइन टेस्ट की रिपोर्ट भी दिखाते हैं. लेकिन ज्यादातर लोग बेवजह दवाई खरीदना चाहते हैं. हमारे पास इसके एक हजार से ज्यादा कैप्सूल हैं, लेकिन इनमें से एक भी नहीं बिका है, क्योंकि बगैर रिपोर्ट देखे हम लोगों का दवाई नहीं देते हैं.'
कैसी है सरकार की तैयारी
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अभी तक देशभर में स्वाइन फ्लू के कारण 670 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि इससे संक्रमित लोगों की संख्या दस हजार को पार गई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिल्ली के एम्स अस्पताल में स्वाइन फ्लू की जांच की सुविधा शुरू की है. नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल में भी 24 घंटे के मॉनिटरिंग सेल ने काम शुरू कर दिया है. स्वाइन फ्लू जांच के लिए मनमाने पैसे वसूलने की खबरों के बाद दिल्ली की सरकार ने जांच की अधिकतम फीस 4,500 रुपये तय कर दी है.