देश में पहली बार दो सुअरों में स्वाइन फ्लू 'एच 1 एन 1' के वायरस होने की पुष्टि हुई है. यह इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा सकता है कि स्वाइन फ्लू सुअरों के माध्यम से ही मनुष्यों में फैलता है.
भोपाल स्थित देश की एक मात्र हाई सिक्यूरिटी एनीमल डिजीज लेबोरेटरी 'इंडियन वेटरिनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट' के संयुक्त संचालक एस.सी. दुबे ने इस बात की पुष्टि की है कि तमिलनाडु से हाल ही आये दो सेम्पलों में 'एच 1 एन 1' के वायरस पाये गये हैं और यह पहली बार है जब सुअरों में 'एच 1 एन 1' के लक्षण पाजीटिव पाये गये हैं.
उन्होंने यह बताने से इंकार किया कि ये सुअर किस क्षेत्र के थे लेकिन उनका कहना था कि ये दोनों सुअर किसी फार्म हाउस के थे और उनके शरीर में जो वायरस पाये गये वे अत्यंत कमजोर थे और कुछ ही समय के इलाज के बाद दोनों सुअर ठीक हो गये थे.
उन्होंने बताया कि दो सुअरों में 'एच 1 एन 1' वायरस पाये जाने के बाद उनके परीक्षण के लिये एक टीम तमिलनाडु भेजी गयी थी लेकिन तब तक वे ठीक हो गये थे.
दुबे के अनुसार प्रयोगशाला में 11 प्रदेशों से जानवरों के 1372 सैम्पल आये थे जिनमें से मात्र दो ही पाजीटिव पाये गये. प्रयोगशाला में जिन प्रदेशों से सैम्पल आये थे उनमें महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उडीसा, उत्तरप्रदेश, नागालैण्ड, असम, तमिलनाडु और मेघालय हैं.
दुबे ने बताया कि वर्ष 2009 से अभी तक दुनिया में स्वाइन फ्लू से अभी तक 18500 से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है.उन्होंने बताया कि हिन्दुस्तान में 34115 मरीजों में स्वाइन फ्लू होने की पुष्टि हुई है जिनमें से 1646 से अधिक मरीजों की मृत्यु हुई है.
सूत्रों ने बताया कि सबसे पहले 'एच 1 एन 1'वायरस का सर्वाधिक असर वर्ष 1918 में हुआ था और उस समय पूरे विश्व में 50 मिलियन व्यक्तियों की मृत्यु इस बुखार के कारण हुई थी. यह वह समय था जब इस बीमारी का पर्याप्त इलाज उपलब्ध नहीं था जबकि आज इस वायरस की दवा पूरे विश्व में उपलब्ध है.