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तालिबान ने दो सिखों के सिर कलम किए

पाकिस्तानी तालिबान ने देश के अशांत कबाइली इलाके में फिरौती के लिए अगवा किए गए दो सिखों के सिर कलम कर दिए तो आतंकवादियों की बर्बरता का एक और उदाहरण है. अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ और लोग अब भी आतंकवादियों के कब्जे में हैं.

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पाकिस्तानी तालिबान ने देश के अशांत कबाइली इलाके में फिरौती के लिए अगवा किए गए दो सिखों के सिर कलम कर दिए तो आतंकवादियों की बर्बरता का एक और उदाहरण है. अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ और लोग अब भी आतंकवादियों के कब्जे में हैं.

सूत्रों ने रविवार रात बताया कि जसपाल सिंह का शव खबर कबाइली इलाके में मिला जो प्रांतीय राजधानी पेशावर से कुछ ही दूरी पर है. महाल सिंह का शव औराकजई एजेंसी में पाया गया.

खबर एजेंसी के बारा इलाके से तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान द्वारा अगवा किए गए सिखों की संख्या के बारे में अभी भ्रम की स्थिति बनी हुई है. एक सूत्र का कहना है कि चार सिखों को अगवा किया गया था जबकि एक अन्य खबर के मुताबिक अपहृत किए गए कुल लोगों की संख्या छह है.

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इन सिखों को 34 दिन पहले अगवा किया गया था और तालिबान ने उनकी रिहाई के लिए तीन करोड़ रूपए की फिरौती मांगी थी. सूत्रों का कहना है कि रकम अदायगी की तय तारीख गुजरने के बाद इनमें से दो सिखों के सिर कलम कर दिए गए.

पश्चिमोत्तर सीमांत प्रांत के मंत्री बशीर अहमद के मुताबिक, संघ प्रशासित कबाइली इलाकों यानी फाटा में कारोबार करने वाले तीन सिखों का तालिबान ने अपहरण किया और उनमें से एक का ‘कत्ल’ कर दिया. अहमद ने कहा कि तालिबान ने उसका शव पेशावर भेजा.
सूत्रों का कहना है कि गुरविंदर सिंह और गुरजीत सिंह अभी भी आतंकवादियों के चंगुल में हैं. इन लोगों का अपहरण उस इलाके से किया गया था जहां सरकार का सीधा कोई नियंत्रण नहीं है और वहां आतंकवादियों की स्थिति मजबूत है.

संघ प्रशासित कबाइली इलाका यानी फाटा के पूर्व सुरक्षा सचिव ब्रिगेडियर मेहमूद शाह ने तालिबान की इस हरकत को जघन्य बताया है और कहा है कि इस घटना की कड़ी से कड़ी निंदा होना चाहिए.

उन्होंने एक टीवी न्यूज चैनल से कहा, ‘‘यह वाकई एक जघन्य हरकत है. यह वाकई शर्मनाक है.’’ एक अनुमान के मुताबिक पश्चिमोत्तर सीमांत प्रांत और कबाइली इलाके में लगभग दस हजार सिख रहते हैं. ये उन सिखों के वंशज हैं जिन्होंने वर्ष 1947 के बंटवारे के दौरान भारत नहीं जाने का विकल्प चुना था.

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इससे पहले वर्ष 2009 में पश्चिमोत्तर सीमांत प्रांत में तालिबान ने अल्पसंख्यक सिख आबादी को धार्मिक कर के रूप में सालाना लाखों रूपये देने पर विवश किया था. सुरक्षाबलों और तालिबान के बीच मुठभेड़ के बाद पलायन के लिए मजबूर हुआ सिख समुदाय अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहा है.

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