तालिबान और आतंकवादी फिर से पाकिस्तान को जख्म पहुंचा रहे हैं. पिछले 2 महीनों में तालिहान का हमला तेज हो गया है. माना जा रहा है कि जनता इनसे छुटकारा पाने के लिए सेना का ही आसरा देख रही है.
पाकिस्तान में तालिबान अभी भी ताकतवर है. माना जा रहा है कि पाकिस्तान के सिंध इलाके में नाटो सेना के लिए जा रहे तेल के टैंकर पर हमला तालिबान या उसके समर्थक आतंकवादी संगठन ने किया है. इस हमले से तालिबान को कुचलने की पाक सरकार के दावे की पोल खुल चुकी है. शायद यही वजह है कि पाक आवाम का भरोसा भी इन हादसों के बाद अपने हुक्मरानों से उठ चुका है.
कहा जा रहा है कि अब जनता राजनेताओं के बदले सेना की कमान में अपने सुनहरे भविष्य की तस्वीर देख रही है. उन्हें शायद यही लग रहा है कि सेना ही देश को आतंकवादियों के चंगुल से बाहर निकाल सकती है.
पाकिस्तान वैसे ही भीषण बाढ़ से जूझ रहा है और उसके बाद अब तालिबान भी सिर उठाने लगा है. अगस्त और सितंबर के महिने में तालिबान की ओर से कई धमाकों को अंजाम दिया गया. पाकिस्तान के फाटा और नार्थ वेस्ट फ्रंटीयर इलाके में आतंकवादी संगठनों की सक्रियता बढ़ गई है.
कहा जा रहा है कि हाल की इन तस्वीरों को देखने के बाद तालिबान की बर्बरता और सरकार का पंगुपन लोगों को खटकने लगा है. पाक सरकार की यही नाकामी अब सरकार पर ही भारी पड़ सकती है. यानी पाकिस्तान में तख्तापलट की आशंका जल्द ही हकीकत भी साबित हो सकती है.
पाकिस्तान में तख्तापलट की आशंका परवेज मुशर्रफ ने जाहिर की है लेकिन अब वो खुद पाक राजनीति में वापसी की कोशिश कर रहे हैं. लंदन में अपनी नई पार्टी के ऐलान के वक्त उन्होंने पाक अवाम से अपने 9 साल के कार्यकाल के दौरान हुई गल्तियों के लिए माफी मांगी.
पाकिस्तान की किस्मत में सचमुट बैलेट से ज्यादा बुलेट ही दिखता है. लोकतंत्र की कोशिशें यहां बार बार हुईं, लेकिन फौजी जनरलों की तानाशाही के आगे वो बार बार दम तोड़ती रहीं.