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'तालिबान के हिमायती हैं पाक सेनाप्रमुख जनरल कियानी'

आज अमेरिका पाकिस्तान को दगाबाज की नजर से देखता है. ये खुलासा एक अमेरिकी पत्रकार ने अपनी ताजा किताब में किया है औऱ उन्होंने सारे तथ्य उनलोगों के हवाले से रखे हैं जो अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के प्रमुख रहे हैं.

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पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दुनिया से अबतक सिर्फ औऱ सिर्फ झूठ बोला है. उसने अमेरिका की आंख में धूल झोंकी है औऱ तालिबान की भरपूर मदद की है. लेकिन एक रोज उसका खेल पकड़ लिया गया औऱ आज अमेरिका पाकिस्तान को दगाबाज की नजर से देखता है.

ये खुलासा एक अमेरिकी पत्रकार ने अपनी ताजा किताब में किया है औऱ उन्होंने सारे तथ्य उनलोगों के हवाले से रखे हैं जो अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के प्रमुख रहे हैं. अमेरिका के पास इस बात के भी सबूत हैं कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कियानी आतंकवादी संगठन तालिबान के हिमायती हैं औऱ जबसे उसने सच जान लिया है तब से वो पाकिस्तान की परवाह किये बगैर उसकी सरहद के भीतर लगातार हमले कर रहा है.

पाकिस्तान सरकार की बात अमेरिका ने इस बार भी नहीं सुनी. 23 जनवरी को जब नॉर्थ वज़ीरिस्तान पर अमेरिकी ड्रोन ने मिसाइल दागे थे, तब भी पाकिस्तान ने फरियाद की थी. उसकी फरियाद के जवाब में अमेरिका के रिमोट कंट्रोल से चलने वाले प्लेन ने एक हफ्ते के अंदर ही पाकिस्तान पर फिर हमला कर दिया.

पाकिस्तान की सरकार और नेता अमेरिका से यही कहते रहे कि यहां तालिबान से पाक आर्मी को निपटने दो. लेकिन सोमवार को पाकिस्तान के कुर्रम कबीले में अमेरिका का बिना पायलट वाला जहाज़ आया और दो मिसाइलें दाग कर वापस लौट गया. अमेरिका को ये सच्चाई मालूम हो चुकी है कि पाकिस्तान की आर्मी दगाबाज़ है.

पाकिस्तान में तालिबान और अल क़ायदा के ठिकानों पर ड्रोन हमलों का रिमोट कंट्रोल पाकिस्तान से करीब सात हज़ार मील दूर नेवादा में बैठे सीआईए के अफसरों के हाथों में है और सीआईए को सबूत मिल चुके हैं कि पाकिस्तान की आर्मी और आईएसआई दगाबाज़ है. न्यूयॉर्क टाइम्स के चीफ कॉरेस्पॉन्डेंट डेविड ई सैंगर ने अपनी किताब में खुलासा किया है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी ने पाक आर्मी और आईएसआई के आला जनरलों के फोन कॉल्स इंटरसेप्ट किए हैं.

ये फोन सुनने के बाद ही सीआईए के दिमाग की घंटी बजी कि पाकिस्तानी फौज अमेरिका के लिए आस्तीन का सांप है. वो एक तरफ तो तालिबान और अल क़ायदा के आतंकवादियों के खिलाफ़ जंग का दम भरती है और दूसरी ओर पाक आर्मी के आला अफसर आतंकवादियों को पहले ही आगाह कर देते हैं कि उनके ठिकानों पर हमला होने वाला है. लिहाज़ा अमेरिका ने ठान लिया है कि पाकिस्तान की सरकार चाहे जितना चीखे-चिल्लाए, लेकिन अमेरिका अब आतंक के नापाक अड्डों को नहीं छोड़ेगा.

सेंगर की पहुंच व्हाइट हाउस और अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की सीक्रेट फाइल तक रही है. ऐसी ही एक सीक्रेट फाइल के हवाले से उन्होंने सनसनीखेज़ खुलासा किया है कि सीआईए और नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी ने पाक आर्मी और आईएसआई के आला अफसरों का टेलीफोन टैप किया. अमेरिकी खुफिया एजेंटों ने जो फोन सुने, उनमें एक फोन पाकिस्तान के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल अशफाक परवेज़ कियानी का भी था, जो तालिबानी आतंकवादियों को पाकिस्तान के लिये अपनी पूंजी बता रहे थे. अमेरिका की नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी जान चुकी है कि पाक आर्मी का चीफ़ भी अमेरिका के दुश्मन अल क़ायदा और तालिबान का दोस्त है. पाकिस्तान की फौज का सबसे बड़ा अफसर तालिबान के खूंखार आतंकवादियों का मसीहा है.{mospagebreak}सैंगर की इस किताब में सबसे सनसनीखेज़ खुलासा यही है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने पाकिस्तान के आर्मी चीफ़ का टेलीफोन भी टैप किया. जनरल कियानी की फोन टैपिंग के दौरान ही अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के सामने बेनकाब हुआ पाक आर्मी और तालिबान का सबसे ख़तरनाक कनेक्शन. तालिबान के सबसे पुराने और बेहद खूंखार आतंकवादियों में से एक मौलवी जलालुद्दीन हक्क़ानी को पाकिस्तान की आर्मी के मुखिया कियानी पाकिस्तान की रणनीति में बेशकीमती मानते हैं.

अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने अपने कानों से कियानी को ये कहते हुए सुना कि मौलवी जलालुद्दीन हक्क़ानी जैसे तालिबान लीडर्स हमारे स्ट्रेटजिक असेट्स हैं. अमेरिकी खुफिया एजेंसियों में टू माइक्स के नाम से मशहूर दो आला अफसरों- माइक मैककॉनेल और माइक हेडन के सामने कियानी का ये नया किरदार था. कियानी पर उन्हें शक तो तभी हो गया था, जब कियानी से उन्होंने आमने-सामने बैठकर बातें की थीं.

मैककॉनेल के मुताबिक, 'मुशर्रफ़ और कियानी के साथ मीटिंग में मैंने बताया कि 2007 में सुसाइड बॉम्बर्स पाकिस्तान में करीब तेरह सौ लोगों की हत्या कर चुके हैं और 2008 में ये तादाद दोगुनी हो सकती है. मैंने उन्हें ओसामा बिन लादेन और उसके डिप्टी के इंटरव्यू का हवाला दिया और बबताया कि ओसामा पाकिस्तान की सरकार का तख्ता पलट करने का इरादा रखता है. जवाब में मुशर्रफ़ और कियानी दोनों का यही कहना था कि उन्हें ओसामा के इंटरव्यू के बारे में पता नहीं है.'

कियानी के इस जवाब से टू माइक्स को दाल में कुछ काला नज़र आया और फिर फोन पर कियानी की बातें सुनने के बाद तो पाक आर्मी की काली नीयत के बारे में बचा-खुचा शक भी खत्म हो गया. मैककॉनेल ने अमेरिकी राष्ट्रपति को भेजी अपनी रिपोर्ट में साफ-साफ लिखा "पाकिस्तानी हुकूमत तालिबान और दूसरे गिरोहों के आतंकवादियों को लगातार हथियार और दूसरे सामान मुहैया करा रही है, ताकि ये आतंकवादी अफ़गानिस्तान में जाकर अफग़ान और नाटो की फौज पर हमले कर सकें."

पाक आर्मी की नीयत का खोट सामने आ जाने के बाद ही अमेरिका ने ठान लिया कि अब वो पाकिस्तान को उसी के तरीके से जवाब देगा. यानी खुले तौर पर दोस्ती और अपनी मर्ज़ी से आतंकवादी ठिकानों पर हमला. अमेरिका ये जान चुका था कि पाक आर्मी को बताकर हमला करने का कोई फायदा नहीं, क्योंकि हमले की ख़बर पहले ही आतंकवादियों तक पहुंच जाएगी. इसलिए अब वो पहले हमला करता है और उसके बाद इत्तिला देता है.

डेविड सैंगर के इस खुलासे को पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ ने बकवास करार दिया है. कियानी को चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बनाने वाले मुशर्रफ़ ही थे. मुशर्रफ़ ने पूरी दुनिया को आगाह किया है कि अगर पाकिस्तानी फौज और आईएसआई कमज़ोर पड़ी, तो आतंक के खिलाफ़ जंग में हार होना तय है.

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