चेन्नई में जल संकट को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. याचिका में कहा गया कि तमिलनाडु में जलसंकट जलस्रोतों पर अतिक्रमण की वजह से गहराया है, लिहाज़ा जलस्रोतों को अतिक्रमण मुक्त करने का आदेश राज्य सरकार को दिया जाए. याचिका में ये भी कहा गया है कि राज्य भर में 2000 से ज्यादा बड़े तालाब और झील पूरी तरह सूख चुके हैं. अब वहां एक बूंद पानी भी नहीं है.
चेन्नई में जल संकट को लेकर राजनीतिक पार्टियां भी मुखर हैं. द्रमुक अध्यक्ष एम. के. स्टालिन इस मुद्दे पर चेन्नई में धरना प्रदर्शन कर चुके हैं. उन्होंने 24 जून को तमिलनाडु में सत्तारूढ़ अन्ना द्रमुक सरकार पर आरोप लगाया कि जब शहर को जल आपूर्ति करने वाली झीलें सूख रही थीं तब मौजूदा सरकार ने जल संकट को दूर करने में सक्रियता नहीं दिखाई.
चेन्नई के जल संकट के समाधान की मांग करते हुए प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले स्टालिन ने कहा कि जब शहर में जल की आपूर्ति करने वाली झीलें सूखने लगीं तो सरकार ने कार्रवाई नहीं की. स्टालिन ने खाली बर्तनों के साथ प्रदर्शन कर रहे लोगों से कहा, पूरे तमिलनाडु में लोग एक ही सवाल पूछ रहे हैं कि पानी कहा है?
स्टालिन ने कहा कि अन्ना द्रमुक सरकार ने राज्य में पेयजल की किसी भी परियोजना को पूरा नहीं किया., पार्टी के अधिकारी मंदिरों में यज्ञ कर रहे हैं, इसलिए नहीं कि बारिश हो, बल्कि इसलिए ताकि उनकी सरकार की रक्षा हो सके. द्रमुक प्रमुख ने कहा कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है, तो जल परियोजना को लागू करने में हो रही देरी की अनियमितताओं की जांच का आदेश देगी.