तमिलनाडु सरकार ने सोमवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत केंद्र के प्रस्तावित तीन भाषा के फॉर्मूले को खारिज कर दिया. तमिलनाडु सरकार का कहना है कि वह अपनी पुरानी दो भाषा की नीति पर कायम रहेगी और इसी आधार पर पढ़ाई कराई जाएगी.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत तीन भाषा का नियम लागू किए जाने का प्रस्ताव है जिस पर तमिलनाडु सरकार ने कड़ा ऐतराज जताया है. इस मुद्दे पर सोमवार को मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी ने सचिवालय में कैबिनेट बैठक की. बैठक में कई मंत्री मौजूद रहे जिसकी अध्यक्षता खुद मुख्यमंत्री ने की. बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि दशकों से प्रदेश में दो भाषा का फॉर्मूला चला आ रहा है और इसमें आगे भी कोई बदलाव नहीं किया जाएगा.
मुख्यमंत्री ने कहा कि तमिलनाडु केंद्र के तीन भाषा के फॉर्मूले को इजाजत नहीं देगा. प्रदेश में दो भाषाएं ही चलेंगी जिनमें तमिल और अंग्रेजी का स्थान है. उन्होंने कहा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में तीन भाषा का नियम कष्टदायक है और खेदजनक है. प्रधानमंत्री को भी तीन भाषा के फॉर्मूले पर एक बार विचार करना चाहिए. पलानीस्वामी ने कहा कि राज्यों को पढ़ाए जाने वाले विषयों पर खुद फैसला लेने का अधिकार देना चाहिए.
बता दें, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में क्लास 5 तक मातृभाषा में या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाने का प्रावधान है. इसी के साथ बोर्ड परीक्षा को लेकर भी कई बड़े बदलाव किए गए हैं. इसे पिछले हफ्ते मोदी कैबिनेट ने मंजूरी दी है. इसी मामले में डीएमके चीफ स्टालिन के बेटे और डीएमके यूथ विंग के सचिव उदयनिधि स्टालिन ने एक ट्वीट में लिखा है कि शिक्षा नीति पर फीडबैक भेजने की तारीख 11 अगस्त तय की गई है लेकिन केंद्र ने अब तक क्षेत्रीय भाषाओं में इसे प्रकाशित नहीं किया है, यहां तक कि तमिल भाषा में भी इसका प्रकाशन नहीं हुआ है. उदयनिधि ने कहा कि जानबूझ कर की गई इस देरी की वे कड़े शब्दों में आलोचना करते हैं.